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वनों की कटाई और गिरावट: पर्यावरण और मानव जीवन पर गहराता संकट

by kishanchaubey
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धरती का लगभग एक तिहाई हिस्सा वनों से ढका हुआ है। ये न केवल 1.6 अरब लोगों की आजीविका का साधन हैं, बल्कि 80% स्थलीय प्रजातियों के लिए घर भी हैं। वनों की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व के साथ, ये जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्बन के सबसे बड़े भंडारणकर्ता हैं। लेकिन हर साल 1 करोड़ हेक्टेयर जमीन से वनों का सफाया हो रहा है। यह क्षेत्रफल पुर्तगाल के बराबर है।

वनों की कटाई और गिरावट क्या है?

वनों की कटाई का मतलब है, जब इंसान जंगलों को पूरी तरह से खत्म कर किसी और काम के लिए इस्तेमाल करता है, जैसे खेती, उद्योग, या आवास। इससे हरे-भरे जंगल उजाड़े जाते हैं और बंजर जमीन में बदल जाते हैं।
वन गिरावट का अर्थ है जंगल के पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाना, जैसे अत्यधिक लकड़ी काटना या पुराने पेड़ों को निशाना बनाना।

वनों की कटाई और गिरावट कहां हो रही है?

यह समस्या केवल उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जैसे अमेज़न और कांगो बेसिन तक सीमित नहीं है। कनाडा और रूस के बोरेल वन, स्वीडन के काई-समृद्ध जंगल, और अमेरिका के पश्चिमी जंगल भी इस संकट का सामना कर रहे हैं। इन क्षेत्रों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिससे वैश्विक स्तर पर वन संरक्षण के मानकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वनों की कटाई के कारण

  1. औद्योगिक लकड़ी की कटाई:
    लकड़ी, कागज, और ऊर्जा के लिए उपयोग होने वाले बायोमास जैसे उत्पादों के लिए जंगलों को काटा जा रहा है।
  2. कृषि के लिए साफ़ करना:
    • मवेशी पालन और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है।
    • ब्राजील में 2000 से 2019 के बीच सोयाबीन के लिए जमीन का उपयोग 10 गुना बढ़ा।
  3. जंगलों को जलाना:
    • इंडोनेशिया में पाम तेल के उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों को जलाया जाता है।
  4. जैव ऊर्जा उत्पादन:
    • बायोमास पैलेट के लिए अमेरिका के दक्षिणी राज्यों से लकड़ी काटी जाती है।
    • यह दावा किया जाता है कि यह ऊर्जा स्रोत कार्बन न्यूट्रल है, लेकिन वैज्ञानिक इसे अप्रभावी मानते हैं।
  5. जलवायु परिवर्तन:
    • समुद्र स्तर में वृद्धि से तटीय पेड़ों की जड़ें डूब जाती हैं, जिससे वे “भूतिया जंगल” बन जाते हैं।
    • जंगलों में सूखे के कारण आग और कीटों के हमले बढ़ रहे हैं।

वनों की कटाई का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

1. पर्यावरण पर प्रभाव:

  • पारिस्थितिकी तंत्र का नुकसान: वनों की कटाई से वन्यजीवों का आवास नष्ट होता है। कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • पेड़ों में संग्रहीत कार्बन वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसें बढ़ती हैं।
    • पुराने जंगलों की जगह लगाए गए नए पेड़, कार्बन को प्रभावी रूप से नहीं रोक सकते।
  • मृदा अपरदन: जंगलों के नष्ट होने से मिट्टी कमजोर हो जाती है और बाढ़ व सूखा जैसी आपदाओं का खतरा बढ़ता है।

2. स्वास्थ्य पर प्रभाव:

  • वायु प्रदूषण: वनों की कटाई से धूल और प्रदूषकों का स्तर बढ़ता है, जिससे सांस की बीमारियां होती हैं।
  • जल संकट: जंगलों के नष्ट होने से जल स्रोत सूखते हैं, जिससे पानी की कमी होती है।
  • बीमारियों का फैलाव: वनों के कटने से जानवरों का आवास घटता है, जिससे इंसानों में जंगली जानवरों से फैलने वाली बीमारियां बढ़ती हैं।

आग का संकट

वनों में आग कभी-कभी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में सहायक होती है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण आग अब अधिक तीव्र और लंबे समय तक चलने लगी है। उदाहरण के लिए, 2023 में कनाडा में रिकॉर्ड तोड़ आग ने 1.8 करोड़ हेक्टेयर जंगलों को जला दिया।

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वनों की रक्षा के लिए उपाय

  1. पुनः वनीकरण: केवल नए पेड़ लगाना काफी नहीं है। पारंपरिक जंगलों को बचाने पर जोर देना होगा।
  2. स्थायी लकड़ी की कटाई: जिम्मेदार वन प्रबंधन और पुराने जंगलों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विकसित देशों को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और विकासशील देशों को वन संरक्षण में सहयोग देना चाहिए।
  4. स्थानीय समुदायों की भागीदारी: आदिवासी और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को मान्यता देना जरूरी है, क्योंकि वे जंगलों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं।

वनों की कटाई और गिरावट केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं है; यह हमारी जिंदगी और भविष्य के लिए सीधा खतरा है। हमें व्यक्तिगत, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है।

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