Darbhanga Flood 2025 : बिहार के दरभंगा जिले के किरतपुर प्रखंड में, अचानक आई बाढ़ ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। यह बाढ़ 15 जनवरी को हुई, जब गेनहुआ नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस बाढ़ ने गेहूं, मक्का, दालें और सब्जियों जैसी रबी फसलों की सैकड़ों एकड़ जमीन को बर्बाद कर दिया।
कैसे हुई यह बाढ़?
बाढ़ का मुख्य कारण गेनहुआ नदी में अचानक पानी का आना था, जो 14 जनवरी को पड़ोसी मधुबनी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-56 पर एक छोटे फ्लडगेट की गलती से हुई। यह फ्लडगेट अनजाने में खोल दिया गया, जिससे गेनहुआ नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई। नदी, जो कोसी नदी के पश्चिमी तटबंध और कमला नदी के पूर्वी तटबंध के बीच बहती है, ने कई निचले इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया।
किसानों की तबाही
बाढ़ ने किरतपुर प्रखंड के दर्जनों गांवों में कृषि भूमि को डुबो दिया। पहले से ही ठंड से जूझ रहे किसानों के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हुआ।
मामूली किसान हरदेव यादव ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “मेरी दो एकड़ मक्का की फसल बर्बाद हो गई। यह फसल उगाने के लिए मैंने स्थानीय साहूकार से कर्ज लिया था। अब मेरे सपने चकनाचूर हो गए हैं।”
इसी तरह, किसान मनोहर शर्मा ने कहा, “सितंबर 2024 की बाढ़ के बाद हमने इस साल अच्छे रबी उत्पादन की उम्मीद की थी। लेकिन जनवरी में आई इस बेमौसम बाढ़ ने हमारी मेहनत पर पानी फेर दिया।”
सितंबर 2024 की बाढ़ का खौफ
यह बाढ़ किसानों के लिए ‘देजा वू’ जैसी स्थिति लेकर आई है। सितंबर 2024 में, कोसी नदी ने भुबोल गांव के पास अपना पश्चिमी तटबंध तोड़ दिया था, जिससे व्यापक पैमाने पर नुकसान हुआ था। उस समय सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए थे, और धान, मक्का, केला और सब्जियों जैसी फसलें तबाह हो गई थीं।
राज्य के कृषि मंत्री मंगल पांडे ने स्वीकार किया था कि उस बाढ़ में 1.5 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल नष्ट हो गई थी। सितंबर की बाढ़ के बाद किसानों को अभी तक पूरी राहत नहीं मिली थी, और जनवरी की बाढ़ ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दीं।
सरकार की प्रतिक्रिया और किसानों की उम्मीदें
किरतपुर के कृषि अधिकारी शशि भूषण झा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि जल्द ही एक टीम नुकसान का आकलन करेगी और वरिष्ठ जिला अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन किसानों को हर संभव सहायता देने का प्रयास करेगा।
हालांकि, किसानों की उम्मीदें सरकार से अधिक कार्यवाही की हैं। हरदेव यादव और मनोहर शर्मा जैसे किसान कहते हैं, “हम असली पीड़ित हैं। हमें इस नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक मदद चाहिए।”
क्या कहते हैं आंकड़े?
- सितंबर 2024 की बाढ़: 1.5 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद।
- जनवरी 2025 की बाढ़: रबी फसलें (गेहूं, मक्का, दालें, सब्जियां) प्रभावित।
- प्रमुख प्रभावित गांव: दर्जनों गांव, विशेष रूप से निचले इलाकों में।
आगे की राह
किसानों को न केवल मुआवजे की जरूरत है, बल्कि बेहतर बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई व्यवस्था की भी मांग है। यह बाढ़ केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रबंधन की चूक का भी नतीजा है।
अब देखना यह है कि राज्य सरकार किसानों की मदद के लिए कितनी तत्परता दिखाती है और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।