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यमुना में खतरनाक प्रदूषण: छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य पर मंडराया संकट

by reporter
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दिल्ली में चार दिन तक मनाए जाने वाले छठ पूजा पर्व के दौरान यमुना नदी के प्रदूषण ने गंभीर स्वास्थ्य खतरे की चिंता बढ़ा दी है। नदी की हालत इतनी खराब है कि इस हफ्ते दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे लेकर गहरी चिंता व्यक्त की, और कहा कि यमुना के इतने “गंभीर रूप से प्रदूषित” होने के कारण वहां पूजा के अनुष्ठान नहीं होने दिए जा सकते। न्यायालय ने चेतावनी दी कि इससे श्रद्धालुओं की तबीयत खराब हो सकती है।

यमुना जल की स्थिति जानने के लिए पानी के सैंपल पानी की गुणवत्ता को परखने के लिए इंडिया टुडे की टीम ने तीन अहम जगहों – वज़ीराबाद, आईटीओ बैराज और कालिंदी कुंज – से यमुना के पानी के सैंपल लिए। इन सैंपल्स को वैज्ञानिक तरीकों से इकट्ठा किया गया, ताकि यमुना नदी की असल स्थिति सामने आ सके।

वज़ीराबाद से सैंपल इसलिए लिया गया क्योंकि यहां से दिल्ली के पानी की मुख्य सप्लाई होती है। मध्य धारा और खास गहराई से सैंपल लेने पर इसके pH, रंग और गंध में गड़बड़ियाँ पाई गईं।
आईटीओ बैराज में पानी की गुणवत्ता काफी बिगड़ जाती है क्योंकि यहां बड़ी मात्रा में बिना उपचार का सीवेज मिलता है। इस जगह पर विद्युत चालकता (घुलित लवणों की मात्रा मापने) और पानी की धुंधलाहट की जांच की गई।
कालिंदी कुंज में पानी की सतह पर झाग के बड़े-बड़े गुबार दिखे। छठ पूजा के लिए विशेष माने जाने वाले इस घाट पर भी पानी की खराब गुणवत्ता देखी गई। यह झाग प्रदूषकों की उपस्थिति का संकेत है, और घुलित ऑक्सीजन (DO) स्तर भी नापे गए जो जलीय जीवन के लिए जरूरी हैं।
16 महत्वपूर्ण मापदंडों पर लैब परीक्षण इन पानी के सैंपल्स को 16 महत्वपूर्ण मापदंडों के अनुसार जांचा गया, जिनमें pH, कुल क्षारीयता, कठोरता और बैक्टीरियल उपस्थिति जैसे पैरामीटर शामिल थे। जाँच के परिणाम अगले दिन आए, और तीनों सैंपल में सुरक्षा मानकों के अनुसार पानी पीने और स्नान के लिए “अयोग्य” पाया गया।

लैब रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

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घुलित ऑक्सीजन (DO): DO स्तर 5 या उससे अधिक होना चाहिए, पर सभी सैंपल में यह स्तर बहुत कम पाया गया।
बैक्टीरियल गिनती: WHO के अनुसार, बैक्टीरिया की संख्या 100 CFU से कम होनी चाहिए, जबकि यमुना में यह गिनती अत्यधिक पाई गई।
अमोनिकल नाइट्रोजन: इसका स्तर 1 से अधिक होने पर पानी में एसिडिटी बढ़ जाती है।
फॉस्फेट स्तर: ज्यादा फॉस्फेट के कारण पानी में झाग आता है, जो प्रदूषण का संकेत है।1
ई. कोलाई और स्ट्रेप्टोकोकी की उपस्थिति: इसने दिखाया कि यहां बिना उपचार के सीवेज छोड़ा जा रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मत श्रीराम इंस्टीट्यूट के उप निदेशक डॉ. विवेक नारायण सिंह ने कहा कि छठ पूजा जैसे अनुष्ठानों के लिए यमुना का पानी न तो पीने और न ही स्नान के लिए उपयुक्त है। इस जल में डुबकी लगाना, पाचन से जुड़े संक्रमणों का कारण बन सकता है। यहां तक कि थोड़ी सी मात्रा में पानी का सेवन भी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

गंगाराम अस्पताल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरन गुप्ता ने कहा कि यमुना के पानी में संपर्क से त्वचा में खुजली, एलर्जी और फंगल संक्रमण जैसे प्रभाव हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस दूषित पानी की गंध से सांस संबंधी रोगों में तत्काल प्रभाव पड़ सकता है।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव जांच के परिणामों ने यमुना नदी की दयनीय स्थिति को उजागर किया। तीनों स्थानों – वज़ीराबाद, आईटीओ बैराज, और कालिंदी कुंज – पर पानी की गुणवत्ता ने आधारभूत सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं किया। इससे न केवल जन स्वास्थ्य को खतरा है, बल्कि पर्यावरण को भी व्यापक नुकसान हो रहा है।

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