26
Cyclone Fangal: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, चक्रवाती तूफान फेंगल अब पश्चिम-उत्तरपश्चिम दिशा की ओर 7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। जल्द ही यह उत्तर आंतरिक तमिलनाडु में पहुंचकर कमजोर हो जाएगा और कम दबाव वाले क्षेत्र में बदल जाएगा।
तमिलनाडु और पुडुचेरी पर असर:
1 दिसंबर को चक्रवात फेंगल ने तमिलनाडु और पुडुचेरी के तट से टकराया, जिससे भारी बारिश और तेज़ हवाएं चलीं।
- हवा की गति: चक्रवात के दौरान हवाओं की रफ्तार 70-90 किमी प्रति घंटे तक पहुंच गई।
- स्कूल-कॉलेज बंद: तूफान की वजह से राज्य सरकार ने स्कूल और कॉलेजों में छुट्टी घोषित की।
- मछुआरों को चेतावनी: मछुआरों को समंदर में न जाने की सलाह दी गई।
- प्रशासन हाई अलर्ट पर: सरकारी विभाग और राहत एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं।
तूफान का पर्यावरण पर असर:
- पानी और मिट्टी का क्षरण:
तेज़ बारिश और हवाओं से मिट्टी का कटाव और फसलों को भारी नुकसान हुआ है। समुद्री जल के बढ़ते स्तर से तटीय क्षेत्रों में खारा पानी खेतों में प्रवेश कर सकता है, जिससे भूमि की उर्वरता कम हो सकती है। - जैव विविधता पर प्रभाव:
- चक्रवात से पेड़-पौधों को भारी नुकसान पहुंचा है।
- समुद्री जीव-जंतुओं के आवास क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
- वायु प्रदूषण:
तूफान के साथ उड़ती धूल और कचरे ने हवा की गुणवत्ता को खराब किया है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- बीमारियों का खतरा:
- भारी बारिश और बाढ़ से डेंगू, मलेरिया और पानी से फैलने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में साफ पानी और भोजन की कमी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकती है।
- मानसिक तनाव:
- चक्रवात के कारण विस्थापन और संपत्ति के नुकसान से लोगों में मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
सरकार और प्रशासन की तैयारी:
- राहत शिविर: प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
- भोजन और पानी: राहत शिविरों में भोजन और पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है।
- सुरक्षा उपाय: शिक्षण संस्थानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
आगे की चुनौतियां और समाधान:
- प्राकृतिक आपदाओं से निपटना:
- चक्रवातों के प्रभाव को कम करने के लिए तटीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण और मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा।
- समुद्र के जलस्तर की निगरानी और समय पर चेतावनी जारी करना।
- लोगों की सुरक्षा:
- स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाना।
- आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना।
चक्रवात फेंगल ने यह दिखा दिया है कि हमें पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। सतर्कता और योजनाबद्ध राहत कार्य ही ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।