राजस्थान के बारां जिले के शाहाबाद में प्रस्तावित 1800 मेगावाट के पम्पड स्टोरेज पावर प्लांट के लिए 1.19 लाख पेड़ों की कटाई की जा रही है, लेकिन यह प्रक्रिया रोकी जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए एक बेहतर विकल्प राज्य के खनन क्षेत्रों में मौजूद गहरे माइनिंग पिट हो सकते हैं। राज्य के खनन क्षेत्रों में 40 से 60 मीटर गहरे खाली पड़े माइनिंग पिट का उपयोग पम्पड स्टोरेज प्लांट के लिए किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान से बचाया जा सकेगा।
माइनिंग पिट का उपयोग: पेड़ और पर्यावरण बचेगा
खनन क्षेत्रों में गहरे माइनिंग पिट को पम्पड स्टोरेज प्लांट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये पिट पानी के दो अलग-अलग ऊंचाई वाले स्टोरेज के रूप में काम कर सकते हैं, जहां टनल बनाकर पानी की आवाजाही के माध्यम से बिजली उत्पन्न की जा सकती है। इस प्रक्रिया में बारिश के पानी और आसपास के जलस्रोतों से अतिरिक्त पानी भी पंप किया जा सकता है। इससे जंगल के पेड़, वन्यजीव और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाए बिना बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
इसके अलावा, माइनिंग वेस्ट से बने पहाड़ों पर बिना हरियाली को नुकसान पहुंचाए सोलर पार्क भी विकसित किए जा सकते हैं। राज्य में दर्जनों बड़े माइनिंग पिट मौजूद हैं जो महीनों तक बरसाती पानी से भरे रहते हैं। इन पिट्स का उपयोग न केवल ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह अधिक अनुकूल विकल्प है।
पर्यावरण संगठनों की पहल और सुझाव
पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही संस्था ‘हमलोग’ के संयोजक डॉ. सुधीर गुप्ता ने ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा सचिव को पत्र लिखकर इस परियोजना के लिए माइनिंग पिट का विकल्प सुझाया है, ताकि लाखों पेड़ों की कटाई रोकी जा सके। शाहाबाद के अलावा, चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में भी 2500 मेगावाट क्षमता वाला एक और पावर प्लांट बनाने की योजना है, जो घने जंगलों को प्रभावित करेगा। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि जंगलों के संरक्षण के लिए माइनिंग पिट जैसे विकल्पों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
पम्पड स्टोरेज प्लांट: ऊर्जा और पर्यावरण के बीच संतुलन
पम्पड स्टोरेज प्लांट एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा भंडारण प्रणाली है, जो अलग-अलग ऊंचाई पर स्थित दो जलाशयों के बीच पानी की आवाजाही से काम करती है। जब बिजली की आवश्यकता होती है, तो पानी एक जलाशय से दूसरे में गिरता है, जिससे बिजली उत्पन्न होती है। जब बिजली कम होती है, तो पानी को वापस ऊपर पंप किया जाता है। इस प्रणाली के संचालन के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है, जिसे माइनिंग क्षेत्रों में सोलर पार्क से पूरा किया जा सकता है।
माइनिंग पिट इस संयंत्र के लिए एक आदर्श विकल्प साबित हो सकते हैं, क्योंकि खनन के बाद खाली पड़े इन पिट्स का कोई उपयोग नहीं होता। इसके अलावा, सोलर एनर्जी का उपयोग करके संयंत्र की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है, जो पर्यावरण पर कम प्रभाव डालते हुए ऊर्जा उत्पादन का एक स्वच्छ और टिकाऊ तरीका है।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और आगे की दिशा
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 1.19 लाख पेड़ों की कटाई पर अस्थायी रोक लगाई है। केंद्र और राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि पेड़ों की कटाई अगले आदेश तक नहीं की जाएगी। कोर्ट ने सरकार से यह सुझाव मांगा है कि पेड़ों को कैसे बचाया जा सकता है और क्या परियोजना के लिए वैकल्पिक भूमि उपलब्ध है।
कोयला आधारित बिजलीघरों की जगह लेंगे पम्पड स्टोरेज प्लांट
सौर ऊर्जा का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सूर्यास्त के बाद इसका उत्पादन बंद हो जाता है। इसी तरह, पवन ऊर्जा का उत्पादन भी कुछ खास महीनों तक सीमित रहता है। ऐसे में पम्पड स्टोरेज प्लांट बिजली की मांग को पूरा करने के लिए एक मजबूत और सस्ती प्रणाली के रूप में उभर रहे हैं। ये संयंत्र कोयला आधारित बिजलीघरों की आवश्यकता को भी कम कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण को भारी लाभ होगा।
विशेषज्ञों की राय: जंगलों को बचाने का विकल्प
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती मौसम की चरम घटनाओं के बीच हर कोई अब पेड़ और जंगलों की सुरक्षा के प्रति जागरूक हो रहा है। दुर्भाग्य से, जहां भी पम्पड स्टोरेज प्लांट लगाए जाने की योजना है, वहां घने जंगल मौजूद हैं। इन संयंत्रों के लिए सैकड़ों हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होती है, जिससे लाखों पेड़ों और जैव विविधता का नुकसान होता है। इस स्थिति में, माइनिंग पिट और माइनिंग वेस्ट के पहाड़ पम्पड स्टोरेज और सोलर परियोजनाओं के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि जंगलों और वन्यजीवों को बचाने में भी मदद मिलेगी।
पम्पड स्टोरेज प्लांट के लिए माइनिंग पिट का उपयोग एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है, जो लाखों पेड़ों और जैव विविधता की रक्षा कर सकता है। इस विकल्प पर विचार करना पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्थायी समाधान साबित हो सकता है।