स्थानीय प्रदूषण स्रोत जिम्मेदार: दिल्ली की हवा की गुणवत्ता हाल के दिनों में बेहद खराब हुई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, इसका मुख्य कारण खेतों में पराली जलाने की अपेक्षा स्थानीय प्रदूषण स्रोत हैं, जिसमें वाहनों का बड़ा योगदान है।
वाहनों का सबसे बड़ा योगदान: जब दिल्ली में सिर्फ स्थानीय प्रदूषण स्रोतों को देखा गया, तो 50% से अधिक प्रदूषण वाहनों से आया। CSE ने कहा कि पराली जलाने की घटनाएं इस बार कम रही हैं, लेकिन स्थानीय स्रोतों ने हवा को और खराब किया है।
पराली का कम असर: आमतौर पर ठंड की शुरुआत में पराली जलाने का असर दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर ज्यादा होता है। लेकिन इस साल पराली से होने वाला योगदान सिर्फ 1-3% ही था और सिर्फ दो दिनों में यह 8-16% तक पहुंचा।
वाहनों से निकलने वाला धुआं मुख्य समस्या: CSE ने यह भी बताया कि दिल्ली में ट्रैफिक जाम और वाहनों का इंधन जलाने के कारण होने वाला प्रदूषण वायु गुणवत्ता को खराब कर रहा है।
PM2.5 के स्तर का विश्लेषण: सितंबर 15 से अक्टूबर 28, 2024 तक के PM2.5 स्तरों का अध्ययन किया गया। यह देखा गया कि इस साल का प्रदूषण स्तर पिछले सालों के मुकाबले समान या उससे भी अधिक है।
यातायात जाम से बढ़ता प्रदूषण: ट्रैफिक जाम की वजह से सड़क पर खड़े वाहनों से होने वाला प्रदूषण सामान्य से कई गुना अधिक होता है, जिससे हवा की गुणवत्ता और खराब हो जाती है।
अध्ययन में पाया गया प्रदूषण का अन्य स्रोत: वाहनों के बाद, आवासीय जलने (13%), उद्योग (11%), निर्माण कार्य (7%), ऊर्जा (6%), कचरा जलाना (5%) और सड़क की धूल (4%) से भी दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है।
क्षेत्रीय प्रदूषण का योगदान: सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों से आने वाले प्रदूषण का भी बड़ा असर दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है। हरियाणा, यूपी, एमपी, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों से 66% प्रदूषण दिल्ली में प्रवेश करता है।
वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सुझाव: CSE ने सुझाव दिया कि वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए। इसके साथ ही निजी वाहनों का उपयोग कम करने, इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचार करने, निर्माण कार्यों और कचरा जलाने पर सख्त नियंत्रण लागू करना चाहिए।
विस्तारित और मजबूत उपाय की जरूरत: CSE ने यह भी कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर एक विस्तारित और सख्त नीति लागू करनी होगी ताकि दिल्ली और NCR में साफ हवा का लक्ष्य पूरा किया जा सके।