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खाद्य तेल उद्योगों पर संकट: सस्ते आयात से किसानों और उद्योगों को नुकसान

by kishanchaubey
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Oil Industries: देश में खाद्य तेल उद्योग से जुड़े संगठनों ने सरकार को आगाह किया है कि सस्ते और शुल्क मुक्त खाद्य तेल के आयात से किसानों और घरेलू उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है। खासतौर पर तिलहन की खेती करने वाले किसान इससे प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि सस्ते विदेशी तेल की आमद बढ़ने से उनकी उपज की कीमतें गिर रही हैं।

नेपाल से सस्ते खाद्य तेल के आयात को नियंत्रित करने की मांग

खाद्य तेल उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने सरकार से अपील की है कि नेपाल सहित दक्षिण एशियाई देशों से आने वाले रिफाइंड खाद्य तेल के आयात को सीमित किया जाए।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने 10 फरवरी को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इस समस्या को उठाया। संगठन ने बताया कि दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) समझौते के तहत नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से रिफाइंड सोयाबीन और पाम तेल का शुल्क मुक्त आयात हो रहा है, जिससे भारतीय बाजार में सस्ते खाद्य तेल की भरमार हो गई है।

नेपाल कैसे बढ़ा रहा है खाद्य तेल का निर्यात?

नेपाल खुद सोयाबीन तेल का उत्पादन बहुत कम करता है, लेकिन फिर भी उसके खाद्य तेल निर्यात में भारी उछाल देखा गया है। आंकड़ों के अनुसार, 15 अक्टूबर 2024 से 15 जनवरी 2025 तक नेपाल ने 1,94,974 टन खाद्य तेल (मुख्य रूप से कच्चा सोयाबीन और सूरजमुखी तेल) आयात किया, और इसी अवधि में उसने भारत को 1,07,425 टन खाद्य तेल निर्यात कर दिया।

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एसईए के अध्यक्ष संदीप अस्थाना ने कहा कि भारत की मासिक खाद्य तेल खपत लगभग 35,000 टन है और वार्षिक स्तर पर यह 4,30,000 टन तक पहुंचती है। नेपाल के माध्यम से शुल्क मुक्त तेल के आयात की यह प्रवृत्ति अब खतरनाक हो चुकी है। इससे पूर्वी और उत्तरी भारत के वनस्पति तेल शोधन उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है, और भारत सरकार को भी इस वजह से राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है।

तिलहन किसानों पर बुरा असर

एसईए ने यह भी कहा कि सस्ते आयात के कारण भारत में तिलहन की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।

  • कम कीमतों के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
  • उच्च आयात शुल्क लगाने का जो मूल उद्देश्य था, वह निष्प्रभावी हो गया है।
  • घरेलू प्रसंस्करण उद्योगों का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है।

सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील

एसईए ने सरकार से SAFTA समझौते की समीक्षा करने और इस पर तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

संगठन ने सरकार को लिखे पत्र में निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:

  1. भारत में शुल्क मुक्त खाद्य तेल के आयात को तुरंत निलंबित किया जाए।
  2. SAFTA देशों से आने वाले खाद्य तेल पर न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) लागू किया जाए।
  3. घरेलू तिलहन किसानों और खाद्य तेल उद्योगों को संरक्षण देने के लिए ठोस नीतिगत निर्णय लिए जाएं।

सरकार के प्रमुख मंत्रियों को पत्र भेजा गया

एसईए द्वारा भेजा गया यह पत्र प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी को भी भेजा गया है।

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