कोरोना वायरस, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया, न केवल एक महामारी के रूप में उभरा, बल्कि इसके दीर्घकालिक प्रभाव भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बने हुए हैं। हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने खुलासा किया है कि कोविड-19 का संक्रमण रक्त वाहिकाओं पर गहरा असर डालता है, जिससे उनकी उम्र समय से पहले बढ़ सकती है।
यह प्रभाव खासकर महिलाओं में अधिक देखा गया है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, कोविड-19 के बाद रक्त वाहिकाओं की उम्र औसतन 5 साल तक बढ़ सकती है, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अध्ययन का नेतृत्व और निष्कर्ष
पेरिस के पिसा विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रोजा मारिया ब्रूनो के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में 16 देशों के 2,390 लोगों को शामिल किया गया। सितंबर 2020 से फरवरी 2022 के बीच किए गए इस शोध में प्रतिभागियों को चार समूहों में बांटा गया:
- जिन्हें कभी कोविड नहीं हुआ।
- जिन्हें कोविड हुआ, लेकिन अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ा।
- जिन्हें सामान्य वार्ड में भर्ती किया गया।
- जिन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा।
प्रोफेसर ब्रूनो ने बताया, “कोविड-19 के बाद कई लोग महीनों या सालों तक इसके लक्षणों से जूझते हैं। हमारा लक्ष्य यह समझना है कि शरीर में ऐसी कौन सी प्रक्रियाएं हो रही हैं, जो इन लक्षणों को जन्म दे रही हैं।”
शोध में पाया गया कि कोविड-19 रक्त वाहिकाओं को सीधे प्रभावित करता है, जिससे ‘अर्ली वास्कुलर एजिंग’ यानी समय से पहले रक्त वाहिकाओं का बूढ़ा होना शुरू हो सकता है। यह स्थिति खासकर महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाती है।
रक्त वाहिकाओं की उम्र कैसे मापी गई?
शोध में रक्त वाहिकाओं की कठोरता को मापने के लिए पल्स वेव वेलोसिटी (PWV) तकनीक का उपयोग किया गया। यह तकनीक धमनी की सख्ती को बिना चीरे के मापती है। अगर रक्तचाप की तरंगें तेजी से चलती हैं, तो यह दर्शाता है कि धमनी अधिक सख्त है।
अध्ययन में पाया गया कि कोविड से उबरने वालों में PWV स्तर उन लोगों की तुलना में अधिक था, जिन्हें कोविड नहीं हुआ। इसका मतलब है कि उनकी रक्त वाहिकाएं अपेक्षाकृत “बूढ़ी” हो चुकी थीं। यह प्रभाव उन लोगों में भी देखा गया, जिनमें कोविड के हल्के लक्षण थे। खासकर महिलाओं में, जो लॉन्ग कोविड के लक्षणों जैसे सांस की तकलीफ और थकान से जूझ रही थीं, यह समस्या अधिक गंभीर थी।
महिलाओं पर ज्यादा असर
अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि कोविड-19 का रक्त वाहिकाओं पर प्रभाव पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक था। जब उम्र, धूम्रपान, और रक्तचाप जैसे कारकों को नियंत्रित किया गया, तब भी महिलाओं में धमनी सख्त होने का प्रभाव स्पष्ट रहा।
हल्के कोविड से उबर चुकी महिलाओं में रक्त वाहिकाएं औसतन 5 साल बूढ़ी दिखीं, जबकि आईसीयू में भर्ती महिलाओं में यह बदलाव 7 से 8 साल तक देखा गया। रिसर्च के अनुसार, हल्के कोविड वाली महिलाओं में PWV 0.55 मीटर प्रति सेकंड बढ़ा, अस्पताल में भर्ती महिलाओं में 0.6, और आईसीयू में भर्ती महिलाओं में 1.09 तक।
शोधकर्ताओं ने बताया कि PWV में 0.5 मीटर प्रति सेकंड की बढ़त को चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो उम्र के 5 साल बढ़ने के बराबर है। यह 60 साल की महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम 3% तक बढ़ा सकता है।
टीकाकरण का प्रभाव
शोध में यह भी पाया गया कि जिन लोगों को कोविड का टीका लगा था, उनकी रक्त वाहिकाओं में सख्ती अपेक्षाकृत कम थी। यह संकेत देता है कि टीकाकरण रक्त वाहिकाओं को कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान कर सकता है। लंबे समय में यह सख्ती स्थिर हो सकती है या कम हो सकती है।
कोविड का रक्त वाहिकाओं पर असर क्यों ?
शोधकर्ताओं के अनुसार, कोविड वायरस शरीर के ACE2 रिसेप्टर्स पर हमला करता है, जो रक्त वाहिकाओं की भीतरी परत में मौजूद होते हैं। वायरस इन रिसेप्टर्स के जरिए कोशिकाओं में प्रवेश करता है, जिससे रक्त वाहिकाओं की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और उनकी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
इसके अलावा, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और सूजन संबंधी प्रतिक्रियाएं भी इस प्रक्रिया में योगदान दे सकती हैं। महिलाओं में इसका प्रभाव अधिक होने का कारण उनकी तेज इम्यून प्रतिक्रिया हो सकता है। यह प्रतिक्रिया वायरस से लड़ने में मदद करती है, लेकिन रक्त वाहिकाओं को नुकसान भी पहुंचा सकती है।