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कोविड-19 पर नया खुलासा: आईआईटी इंदौर ने बताया, डेल्टा वेरिएंट ने शरीर पर डाला सबसे गहरा असर

by kishanchaubey
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Indore: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन में खुलासा किया है कि कोविड-19 के विभिन्न वेरिएंट्स ने मानव शरीर को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित किया, जिससे रोग की गंभीरता में भिन्नता देखी गई। जर्नल ऑफ प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित इस शोध में पता चला है कि विशेष रूप से डेल्टा वेरिएंट ने चयापचय और हार्मोनल मार्गों में सबसे अधिक व्यवधान उत्पन्न किया, जिसके परिणामस्वरूप साइलेंट हार्ट फेलियर और थायरॉयड डिसफंक्शन जैसी जटिलताएं सामने आईं।

आईआईटी इंदौर, भुवनेश्वर के कalinga Institute of Medical Sciences (KIMS), और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से किए गए इस शोध में भारत में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान 3,134 मरीजों के क्लीनिकल डेटा का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग कर बीमारी की गंभीरता से संबंधित नौ महत्वपूर्ण मापदंडों की पहचान की, जिनमें सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP), डी-डिमर, फेरिटिन, न्यूट्रोफिल, श्वेत रक्त कोशिका (WBC) गिनती, लिम्फोसाइट्स, यूरिया, क्रिएटिन, और लैक्टेट डिहाइड्रोजनेज (LDH) शामिल हैं।

शोध में फेफड़े और कोलन कोशिकाओं पर विभिन्न वेरिएंट्स के स्पाइक प्रोटीन के प्रभाव का भी अध्ययन किया गया। निष्कर्षों से पता चला कि डेल्टा वेरिएंट ने शरीर के रासायनिक संतुलन को सबसे अधिक प्रभावित किया, विशेष रूप से कैटेकोलामाइन और थायरॉयड हार्मोन उत्पादन से संबंधित मार्गों को बाधित किया। मेटा-विश्लेषण ने यूरिया और अमीनो एसिड चयापचय में व्यवधान की पुष्टि की, जो लंबे समय तक कोविड-19 के लक्षणों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।

शोध में मल्टी-ओमिक्स और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया, जिसने इन व्यवधानों को मापने में मदद की। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन न केवल कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को समझने में मदद करता है, बल्कि सटीक जांच और प्रभावी उपचार विकसित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई कि उनके निष्कर्ष बेहतर स्वास्थ्य रणनीतियों और उपचारों को आकार देने में सहायक होंगे, जिससे भविष्य में कोविड जैसी महामारी के दीर्घकालिक प्रभावों से निपटने में मदद मिलेगी। यह शोध स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लंबे समय तक रहने वाले कोविड-19 लक्षणों के प्रबंधन में नई संभावनाएं खोल सकता है।

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