ओडिशा के केओनझार वन मंडल में साल की दूसरी हाथी गणना शुरू हो चुकी है। इस बार कुल 82 टीमों में 246 वनकर्मी शामिल हैं, जो सात वन रेंजों में तैनात किए गए हैं। यह गणना हाथियों की सटीक संख्या और उनकी स्थिति जानने के लिए की जा रही है।
कैसे हो रही है गणना?
गणना के लिए हर टीम में एक टीम लीडर और कम से कम दो सदस्य शामिल हैं। यह टीम दूरबीन, कैमरे और थर्मल ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। इससे हाथियों की गणना पहले से अधिक सटीक और प्रभावी तरीके से की जा रही है।
केओनझार के डीएफओ एचडी धनराज ने बताया, “गणना के लिए हमने 82 टीमों का गठन किया है, जिनमें वनकर्मी, जीआईएस विशेषज्ञ, जीवविज्ञानी, और रेंज अधिकारी शामिल हैं। यह सर्वेक्षण हाथियों की आबादी और उनके स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।”
छात्रों की भागीदारी
इस बार गणना में पहली बार ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (OUAT) के पांच छात्र भी शामिल हुए हैं।
ओयूएटी की छात्रा तेजस्विनी साहू ने कहा, “हमें पहली बार हाथी गणना में भाग लेने का मौका मिला। हमने दो दिनों तक थर्मल ड्रोन की मदद से हाथियों की निगरानी की। यह अनुभव हमें भविष्य में मानव-पशु संघर्ष को प्रबंधित करने में मदद करेगा।”
केओनझार के हाथी और उनकी गणना का महत्व
डीएफओ धनराज के अनुसार, वर्तमान में केओनझार के जंगलों में 170 से 180 हाथी होने का अनुमान है। यह गणना हाथियों की आबादी और उनके स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए बेहद जरूरी है। इसके जरिए संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत किया जा सकेगा।
हाथियों की मौत पर चिंता
पिछले महीने, ओडिशा के वन मंत्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने राज्य में इस साल लगभग 50 हाथियों की मौत पर चिंता जताई थी। उन्होंने इन असामान्य मौतों की जांच के आदेश भी दिए हैं।
हाथी संरक्षण के लिहाज से यह गणना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी संख्या, स्वास्थ्य और जंगलों में उनकी स्थिति को बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिलेगा। वन विभाग के ये प्रयास मानव-पशु संघर्ष को कम करने और हाथियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में मदद करेंगे।