एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि लक्षित संरक्षण उपायों की मदद से सैकड़ों पशु प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया गया है। हालांकि, कई अन्य प्रजातियां अब भी संकट में हैं और तेजी से घट रही हैं।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
वैज्ञानिकों ने 67,000 से अधिक पशु प्रजातियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि दुनिया अभी भी जैव विविधता संकट से जूझ रही है। लेकिन जिन प्रजातियों पर विशेष ध्यान दिया गया, उनके संरक्षण से विलुप्ति का खतरा काफी हद तक कम हुआ और कई मामलों में पूरी तरह टल गया।
18 मार्च 2025 को PLOS Biology पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में कुछ उल्लेखनीय सफलता की कहानियाँ सामने आईं:
- इबेरियन लिंक्स – यह बिल्ली प्रजाति दुनिया की सबसे संकटग्रस्त मानी जाती थी, लेकिन अब इसकी संख्या सैकड़ों से बढ़कर हजारों हो गई है।
- काकापो – न्यूजीलैंड का यह उड़ान रहित तोता, जो रात में सक्रिय रहता है, एक दीर्घकालिक संरक्षण कार्यक्रम के कारण बच पाया है।
- यूरोपीय बाइसन – 20वीं सदी की शुरुआत में जंगली में विलुप्त हो चुके इस जानवर को फिर से पूर्वी यूरोप में छोड़ा गया और अब यह स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहा है।
- समुद्री प्रजातियाँ – हंपबैक और ब्लू व्हेल, जो कभी वाणिज्यिक शिकार के कारण लगभग समाप्त हो गई थीं, अब अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण तेजी से बढ़ रही हैं।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता एशले सिम्किन्स के अनुसार, “हमने पाया कि लगभग सभी प्रजातियाँ, जिनकी स्थिति में सुधार हुआ है, उनके लिए किसी न किसी प्रकार की संरक्षण नीति लागू की गई थी। यह स्पष्ट संकेत है कि संरक्षण प्रयास सफल हो सकते हैं।”
संरक्षण प्रयासों से किन प्रजातियों को लाभ हुआ?
शोधकर्ताओं ने IUCN रेड लिस्ट के आंकड़ों का विश्लेषण कर यह जानने की कोशिश की कि किस तरह के संरक्षण प्रयासों का असर पड़ा, कौन-सी प्रजातियाँ बेहतर हुईं, और किन कारणों से उनका विकास संभव हुआ।
- अध्ययन के अनुसार, जिन 969 प्रजातियों की आबादी बढ़ रही है, उनमें से 78.3% को संरक्षण प्रयासों का लाभ मिला।
- 1980 के बाद जिन 288 प्रजातियों की स्थिति में सुधार हुआ, उनमें से 99.3% को विशेष संरक्षण प्रयासों से मदद मिली।
- संरक्षण के लिए अपनाए गए प्रमुख उपायों में आवास प्रबंधन, पुनःप्रवेश (reintroduction), कानूनी सुरक्षा, और प्रजनन कार्यक्रम शामिल थे।
किन क्षेत्रों में संरक्षण प्रयास सबसे अधिक प्रभावी रहे?
संरक्षण में सुधार दिखाने वाले क्षेत्रों में मुख्य रूप से द्वीप पारिस्थितिकी तंत्र (Island Ecosystems) शामिल हैं। यहाँ की कई प्रजातियाँ संरक्षित कार्यक्रमों से तेजी से उभरी हैं। कुछ प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं:
- न्यूजीलैंड
- मॉरीशस
- सेशेल्स
- चाथम द्वीप
- ग्वाडेलूप
- बोर्नियो
इसके अलावा, पूर्वी अमेरिका, कोस्टा रिका, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी भारत और ब्राजील का अटलांटिक वन क्षेत्र भी वे स्थान हैं जहां जैव विविधता संरक्षण ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं।
चिंता का विषय: संरक्षण प्रयासों के बावजूद जैव विविधता संकट जारी
हालांकि कई प्रजातियाँ बचाई जा चुकी हैं, लेकिन जैव विविधता संकट अब भी गंभीर बना हुआ है। शोधकर्ताओं ने पाया कि एक प्रजाति की स्थिति में सुधार होने पर छह अन्य प्रजातियाँ बदतर हो जाती हैं।
- 1980 के बाद से, 1,220 प्रजातियों (उभयचर, पक्षी और स्तनधारी) की स्थिति खराब हुई, जबकि केवल 201 प्रजातियाँ ही बेहतर हो सकीं।
- 25 प्रजातियाँ ‘Least Concern’ से ‘Critically Endangered’ तक गिर गईं, लेकिन कोई भी विपरीत दिशा में नहीं बढ़ी।
खतरे में पड़ी प्रजातियों के मुख्य कारण:
- आवास विनाश (Habitat Destruction)
- शिकार और अत्यधिक मछली पकड़ना (Overhunting & Overfishing)
- प्रदूषण (Pollution)
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
- बीमारियाँ (Diseases)
- आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ (Invasive Species)
विरोधाभास यह है कि कुछ प्रजातियाँ, जो जलवायु परिवर्तन या आक्रामक प्रजातियों के कारण खतरे में थीं, वे भी संरक्षण प्रयासों से बढ़ने लगीं। यह दर्शाता है कि विभिन्न खतरों और संरक्षण रणनीतियों के प्रभाव जटिल और कभी-कभी परस्पर विरोधी भी हो सकते हैं।
सबसे अधिक संकटग्रस्त क्षेत्र
जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रजातियाँ लुप्त होने के कगार पर हैं, वे हैं:
- ट्रॉपिकल एंडीज (दक्षिण अमेरिका)
- मलेशिया प्रायद्वीप
- सुमात्रा और बोर्नियो
- दक्षिणी यूरोप
- मध्य एशिया
- दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया
भविष्य के लिए क्या किया जाना चाहिए?
शोधकर्ताओं का मानना है कि जब लक्षित संरक्षण प्रयास किए जाते हैं, तो विलुप्ति को रोका जा सकता है। हालांकि, वैश्विक जैव विविधता संकट को पूरी तरह पलटने के लिए और अधिक व्यापक और समन्वित संरक्षण रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता है।
अध्ययन की सिफारिशें:
- बड़े पैमाने पर संरक्षण कार्यक्रमों का विस्तार – खासतौर पर वे जो व्यापक रूप से फैली प्रजातियों को फायदा पहुंचा सकते हैं।
- वन्यजीव आवासों का संरक्षण और पुनर्स्थापन (Habitat Restoration)।
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन रणनीतियों को अपनाना।
- अवैध शिकार और प्रदूषण पर कड़ी कार्रवाई।
- जल, भूमि और समुद्री पारिस्थितिकियों के लिए संयुक्त वैश्विक प्रयास।
यह अध्ययन Kunming-Montreal Global Biodiversity Framework के Goal A को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो प्रजातियों की आबादी को स्थायी स्तरों तक लाने और विलुप्ति के जोखिम को कम करने पर केंद्रित है।