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जलवायु परिवर्तन से याक की आबादी और प्रजनन पर संकट

by kishanchaubey
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Climate Change: जलवायु परिवर्तन का हिमालयी क्षेत्र में याक की आबादी पर गहरा असर पड़ रहा है। नेपाल के स्यांगबोचे में समुद्र तल से 3,885 मीटर ऊंचाई पर स्थित याक जेनेटिक रिसोर्स सेंटर के तकनीकी अधिकारी रामललन यादव बताते हैं कि पिछले 10-11 वर्षों में याक के प्रजनन का मौसम जून-जुलाई से सितंबर तक खिसक गया है।

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यह बदलाव घास की उपलब्धता, बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और बर्फबारी के बदलते पैटर्न के कारण है। घास के मैदानों पर अतिक्रमण और आक्रामक पौधों की वृद्धि ने भी याक के पोषण को प्रभावित किया है।

याक हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र, सांस्कृतिक परंपराओं और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये मांस, दूध, ऊन और मालवाहक के रूप में उपयोगी हैं। हालांकि, भारत, नेपाल और भूटान में याक की आबादी घट रही है। भारत की 2019 की पशुधन जनगणना के अनुसार, याक की संख्या 77,000 से घटकर 58,000 हो गई।

अरुणाचल प्रदेश के राष्ट्रीय याक अनुसंधान केंद्र के पूर्व वैज्ञानिक सपुनी स्टीफन हनाह के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और चारे की कमी प्रजनन को प्रभावित कर रही है।

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सिक्किम में 2019 की भारी बर्फबारी से सैकड़ों याक मरे। विशेषज्ञों का कहना है कि चारागाहों का क्षरण, पशुचराई पर प्रतिबंध और युवाओं का याक पालन छोड़ना भी कारण हैं। याक पालकों को वित्तीय सहायता, वैज्ञानिक प्रबंधन और बाजार पहुंच की जरूरत है। नेपाल, भारत और भूटान को सीमा-पार सहयोग से इस प्रजाति को बचाने की आवश्यकता है।

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