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जलवायु परिवर्तन और त्वचा का स्वास्थ्य: कैसे बढ़ता तापमान उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है

by kishanchaubey
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जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, जो कई तरह से मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। बढ़ता तापमान और आद्रता न केवल दिल और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ा रहे हैं, बल्कि यह हमारी त्वचा को भी प्रभावित कर रहे हैं। हालिया शोधों से पता चला है कि गर्मी और आद्रता (हीट इंडेक्स) त्वचा को समय से पहले बूढ़ा बना सकती है।

गर्मी और त्वचा पर प्रभाव का अध्ययन

भारत में किए गए एक हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि बढ़ते तापमान और आद्रता का सीधा असर त्वचा की सेहत पर पड़ता है। यह शोध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे और जर्मनी के लीबनिज रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एनवायर्नमेंटल मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया।

अध्ययन के लिए भारत की विविध जलवायु और गर्म वातावरण को ध्यान में रखा गया। 1,510 भारतीय महिलाओं को तीन अलग-अलग शहरों से शामिल किया गया। इन महिलाओं की त्वचा के उम्र बढ़ने के संकेत, जैसे झुर्रियां और पिगमेंटेशन (काले धब्बे), को एक विशेष स्कोरिंग सिस्टम (SCINEXA) के माध्यम से जांचा गया।

कैसे किया गया अध्ययन?

शोधकर्ताओं ने इन महिलाओं के निवास स्थान के पिछले पांच वर्षों के तापमान, आद्रता, पराबैंगनी विकिरण (यूवी किरणें), और वायु प्रदूषण के आंकड़े इकट्ठा किए। वायु प्रदूषण के लिए पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर को भी मापा गया।

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इसके अलावा, एक विशेष सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया गया ताकि यह समझा जा सके कि हीट इंडेक्स और त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों के बीच क्या संबंध है।

अध्ययन के नतीजे

शोध से पता चला कि जैसे-जैसे हीट इंडेक्स (तापमान और आद्रता) बढ़ा, माथे पर काले धब्बे और गहरी झुर्रियां बढ़ती गईं। यह प्रभाव उम्र, सूर्य की रोशनी, धूम्रपान, और वायु प्रदूषण जैसे अन्य कारकों से स्वतंत्र था।

प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर जीन क्रुटमैन ने बताया, “यह पहला अध्ययन है जो यह साबित करता है कि जलवायु परिवर्तन सीधे तौर पर त्वचा की उम्र बढ़ने में योगदान कर रहा है। हम इसके पीछे के कारणों का पता लगाने और इससे बचाव की रणनीतियों को विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।”

क्यों है यह शोध महत्वपूर्ण?

भारत जैसे देशों में, जहां जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण तेजी से बढ़ रहे हैं, यह शोध बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल त्वचा की देखभाल को लेकर जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि इससे जलवायु परिवर्तन से होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को समझने में भी मदद मिलेगी।

बचाव के उपाय

  1. सनस्क्रीन का उपयोग: सूरज की हानिकारक किरणों से बचने के लिए हर दिन सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
  2. हाइड्रेशन: त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पिएं।
  3. प्रदूषण से बचाव: बाहर निकलते समय मास्क पहनें और त्वचा को प्रदूषण से बचाने के लिए उचित उत्पादों का इस्तेमाल करें।
  4. स्वस्थ आहार: ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें, जो त्वचा को पोषण और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं।

यह अध्ययन न केवल त्वचा की देखभाल को बढ़ावा देता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने का एक नया नजरिया भी पेश करता है।

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