Kuppam : आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले का कुप्पम अब आधुनिक बागवानी का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां के बागवानी हब ने कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोल दिया है और किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
इजरायली तकनीक ने किया बदलाव
कुप्पम हॉर्टिकल्चर हब में इजरायली तकनीक का इस्तेमाल कर आधुनिक खेती की विधियां अपनाई जा रही हैं। इन विधियों ने न केवल उत्पादन बढ़ाया है, बल्कि खेती को कम संसाधनों में अधिक लाभदायक बना दिया है।
हब की स्थापना और उद्देश्य
इस हब का उद्घाटन 2 जनवरी 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा किया गया था।
- स्थान: यह केंद्र कुप्पम मंडल के पेद्दा बंगारुनाथम गांव में 22.8 एकड़ क्षेत्र में स्थित है।
- मुख्य फोकस: फूलों और सब्जियों की खेती पर।
- तकनीक: ड्रिप सिंचाई, पॉलीहाउस और ग्राफ्टिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग।
किसानों और छात्रों को मिल रही मदद
केंद्र किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली फसलें उगाने में मदद कर रहा है। इसके साथ ही, उन्हें आधुनिक खेती की तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- प्रमुख फसलें: गेंदा फूल, टमाटर, और शिमला मिर्च।
- लाभ: बेहतर उपज, कम लागत और बाजार तक आसान पहुंच।
- प्रशिक्षण: अब तक 43 प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं, जिनसे 2,605 किसान लाभान्वित हुए हैं।
सफलता की कहानी
किसानों ने हब की मदद से अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।
- रमेश नायडू, एक स्थानीय किसान, ने बताया, “पहले कम उपज और बाजार तक पहुंच की समस्या थी। अब टमाटर की पैदावार तीन गुना हो गई है, और अच्छी कीमत मिल रही है।”
- लक्ष्मी देवी, एक अन्य किसान, ने पॉलीहाउस में गेंदा फूल की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया है।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
- पुरस्कार: कुप्पम हॉर्टिकल्चर हब को 30 नवंबर 2024 को स्कॉच अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
- प्रदर्शन: भारत के 57 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoEs) में से यह केंद्र अपनी आधुनिक तकनीकों और बेहतर फसल उत्पादन के लिए सबसे आगे रहा।
राज्य और देश के लिए प्रेरणा
इस केंद्र की सफलता ने अन्य राज्यों को भी प्रेरित किया है।
- केरल, हरियाणा और मिजोरम जैसे राज्यों के अधिकारियों ने इस केंद्र का दौरा कर इसकी तकनीकों को अपने यहां लागू करने की योजना बनाई है।
- अब तक 6,000 से अधिक छात्र और अधिकारी केंद्र का दौरा कर चुके हैं।
कुप्पम हब की उपलब्धियां
- उत्पादन: 64 लाख ग्राफ्टेड पौधे और 1.94 करोड़ नॉन-ग्राफ्टेड पौधों का उत्पादन।
- राजस्व: पौधों की बिक्री से राजस्व में वृद्धि।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था: हजारों किसानों की सीधी मदद से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली।
सरकारी प्रयास और भविष्य की योजनाएं
चित्तूर के जिलाधिकारी सुमित कुमार ने कहा, “यह हब राज्य सरकार के उस दृष्टिकोण का प्रमाण है, जिसमें किसानों को सशक्त बनाने और कृषि को टिकाऊ बनाने का लक्ष्य है। इससे किसान विपरीत मौसम और कीटों जैसी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।”
कुप्पम हॉर्टिकल्चर हब न केवल चित्तूर जिले बल्कि पूरे आंध्र प्रदेश को आधुनिक बागवानी का मॉडल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।