WHO Report: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट में तंबाकू के उपयोग से बच्चों के शारीरिक विकास पर पड़ रहे गंभीर प्रभावों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू का धुआं बच्चों में स्टंटिंग (नाटापन) की समस्या को बढ़ा रहा है, जो कुपोषण का एक रूप है।
स्टंटिंग के कारण बच्चों की कद-काठी उनकी उम्र के अनुरूप नहीं रहती, जिससे उनके स्वास्थ्य और विकास पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वैश्विक स्तर पर यह समस्या लगभग 14.8 करोड़ बच्चों को प्रभावित कर रही है, जिनमें से 43% अफ्रीका और 52% एशिया में हैं। भारत में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां पांच वर्ष से कम उम्र के 31.7% बच्चे स्टंटिंग का शिकार हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
बच्चों पर तंबाकू का प्रभाव
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि स्टंटिंग से बच्चों में बीमारियों का खतरा, विकास में देरी, और यहां तक कि मृत्यु का जोखिम भी बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ से जुड़े डॉ. एटिएन क्रग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “नाटापन बच्चों के बढ़ने, सीखने और आगे बढ़ने के अधिकार को छीन लेता है।
जिन बच्चों के माता-पिता धूम्रपान करते हैं, उनमें स्टंटिंग का खतरा अधिक होता है।” रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू के धुएं में मौजूद हजारों जहरीले रसायन गर्भस्थ शिशु और बच्चों के विकास को नुकसान पहुंचाते हैं।
गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बच्चों में समय से पहले जन्म, कम वजन, और कमजोर शारीरिक विकास की समस्या देखी जाती है। यह प्रभाव शैशवकाल से लेकर बाद के वर्षों तक बना रह सकता है।
इसके अलावा, जन्म के बाद सेकेंड-हैंड स्मोक (दूसरों के धूम्रपान से निकला धुआं) के संपर्क में आने से बच्चों में सांस की बीमारियां और विकास संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं, जिससे स्टंटिंग का खतरा और गंभीर हो जाता है।
भारत में स्थिति गंभीर
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ‘लेवल्स एंड ट्रेंड्स इन चाइल्ड मालन्यूट्रिशन 2023’ के अनुसार, भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के 31.7% बच्चे स्टंटिंग से प्रभावित हैं।
वैश्विक स्तर पर हर चौथा स्टंटिंग प्रभावित बच्चा भारत में है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। यह आंकड़ा देश में कुपोषण और तंबाकू के उपयोग से जुड़ी गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
डब्ल्यूएचओ की सिफारिशें
डब्ल्यूएचओ ने सरकारों से तंबाकू नियंत्रण के लिए सख्त नीतियां लागू करने की अपील की है। संगठन ने तंबाकू नियंत्रण के लिए बने अंतरराष्ट्रीय समझौते (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) और एमपॉवर रणनीतियों को पूरी तरह लागू करने का सुझाव दिया है। इन रणनीतियों में शामिल हैं:
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सेकेंड-हैंड स्मोक से बचाना।
- धूम्रपान छोड़ने में मदद करने वाली सेवाओं को बढ़ाना।
- सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर सख्त प्रतिबंध लगाना।
डब्ल्यूएचओ ने यह भी जोर दिया कि तंबाकू के धुएं से बच्चों के विकास पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में और अधिक शोध की आवश्यकता है, खासकर यह समझने के लिए कि धूम्रपान छोड़ने से स्टंटिंग की समस्या कितनी कम हो सकती है।