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चिकनगुनिया एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों के काटने से फैलती है। यह चिकनगुनिया वायरस (CHIKV) की वजह से होती है, जो एक खास तरह का RNA वायरस है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह बीमारी जोड़ों में तेज दर्द और बुखार का कारण बनती है। आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं और इसके बारे में पूरी जानकारी लेते हैं।
चिकनगुनिया का मतलब और इतिहास
- नाम की कहानी: चिकनगुनिया नाम तंजानिया की किमाकोंडे भाषा से आया है, जिसका मतलब है “वह जो झुक जाता है।” यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस बीमारी में जोड़ों का दर्द इतना तेज होता है कि मरीज का शरीर टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है।
- पहली बार कब मिला?: इस वायरस की पहचान 1952 में तंजानिया में हुई थी। इसके बाद यह अफ्रीका और एशिया में फैल गया।
- भारत में शुरुआत: भारत में 1970 के दशक में चिकनगुनिया के मामले सामने आए। 2004 के बाद यह बीमारी और तेजी से फैली।
- दुनियाभर में फैलाव: आज यह बीमारी 110 से ज्यादा देशों में पाई जाती है, जैसे एशिया, अफ्रीका, यूरोप, और अमेरिका।
भारत में चिकनगुनिया की स्थिति
- 2024 के आंकड़े: राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (NCVBDC) के मुताबिक, भारत में 2024 में:
- संदिग्ध मामले: 2,31,167
- पुष्ट मामले: 17,821
- प्रभावित राज्य: कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, और दिल्ली जैसे राज्यों में यह बीमारी ज्यादा देखी गई है।
- खतरा: बारिश के मौसम में मच्छरों की संख्या बढ़ने से यह बीमारी तेजी से फैलती है।
चिकनगुनिया कैसे फैलता है?
- मच्छरों का रोल: यह बीमारी एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलती है। ये वही मच्छर हैं जो डेंगू और जीका वायरस भी फैलाते हैं।
- कैसे होता है संक्रमण?:
- जब मच्छर किसी चिकनगुनिया से संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह वायरस को अपने अंदर ले लेता है।
- मच्छर के शरीर में वायरस कुछ दिन तक बढ़ता है और उसकी लार में पहुंच जाता है।
- फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसमें चला जाता है।
- नए व्यक्ति के खून में वायरस बढ़ता है, और वह भी दूसरों को संक्रमित कर सकता है।
- खास बात: ये मच्छर दिन में काटते हैं, खासकर सुबह और शाम को। ये रुके हुए पानी (जैसे गमले, टायर, कूलर) में अंडे देते हैं।
चिकनगुनिया के लक्षण
- शुरुआत: मच्छर के काटने के 4 से 8 दिन बाद लक्षण दिखते हैं।
- मुख्य लक्षण:
- तेज बुखार: अचानक बुखार शुरू होता है।
- जोड़ों में दर्द: बहुत तेज दर्द, जो चलने-फिरने में मुश्किल पैदा करता है। यह दर्द हफ्तों या महीनों तक रह सकता है।
- जोड़ों में सूजन: जोड़ सूज जाते हैं और अकड़ जाते हैं।
- अन्य लक्षण: मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान, मतली, और शरीर पर चकत्ते (रैशेज)।
- खास बात: लक्षण डेंगू और जीका जैसे होते हैं, इसलिए गलत निदान हो सकता है। अगर जोड़ों का दर्द ज्यादा न हो, तो बीमारी हल्की भी रह सकती है।
- जटिलताएं: कभी-कभी आंखों, दिल, या नसों की समस्या हो सकती है।
चिकनगुनिया का इलाज
- कोई खास दवा नहीं: चिकनगुनिया के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं है।
- लक्षणों का इलाज:
- बुखार और दर्द: पैरासिटामॉल या एसिटामिनोफेन दी जाती है।
- सावधानी: डेंगू की पुष्टि होने तक NSAIDs (जैसे इबुप्रोफेन) से बचें, क्योंकि ये रक्तस्राव का खतरा बढ़ा सकती हैं।
- खूब पानी पिएं: शरीर में पानी की कमी न हो।
- आराम: पूरा आराम करें ताकि शरीर को ठीक होने में मदद मिले।
- अस्पताल की जरूरत: गंभीर मामलों में, जैसे बहुत ज्यादा कमजोरी या जटिलताएं होने पर, अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है।
चिकनगुनिया का टीका
- अच्छी खबर: चिकनगुनिया के दो टीके कुछ देशों में मंजूर हो चुके हैं। लेकिन ये अभी भारत में व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
- WHO की कोशिश: विश्व स्वास्थ्य संगठन टीके की जांच कर रहा है ताकि इसे ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके।
- चुनौती: टीके का उत्पादन और वितरण अभी सीमित है, इसलिए रोकथाम पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी है।