चेसापीक खाड़ी और उसकी ज्वारीय सहायक नदियों की जल गुणवत्ता में हल्का सुधार देखा गया है, लेकिन यह अभी भी अपने लक्ष्य से बहुत पीछे है। हाल ही में राज्य और संघीय बे प्रोग्राम पार्टनरशिप द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2020-2022 के आकलन काल में केवल 29.8% क्षेत्र ने जल गुणवत्ता मानकों को पूरा किया। यह आंकड़ा पिछले आकलन काल 2019-2021 के 28.1% से थोड़ा बेहतर है।
जल गुणवत्ता मानकों और लक्ष्य
चेसापीक खाड़ी का लक्ष्य है कि इसका 100% जल संघीय क्लीन वाटर एक्ट के मानकों को पूरा करे। ये मानक घुलित ऑक्सीजन, जल की पारदर्शिता और क्लोरोफिल-ए (जो शैवाल की वृद्धि को मापता है) जैसे मानकों पर आधारित हैं।
1985 में जब सफाई अभियान शुरू हुआ था, तब केवल 26% जल गुणवत्ता मानकों को पूरा करता था। सबसे अच्छी प्रगति 2015-2017 में हुई थी, जब 42% क्षेत्र ने मानकों को पूरा किया। लेकिन उसके बाद 2018 और 2019 के लगातार अधिक वर्षा वाले वर्षों ने स्थिति को बिगाड़ दिया।
जल गुणवत्ता का आकलन कैसे किया जाता है?
चेसापीक खाड़ी और उसकी ज्वारीय सहायक नदियों को 92 खंडों में बांटा गया है। प्रत्येक खंड को तभी सफल माना जाता है जब वह क्षेत्र के लिए सभी जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करता हो।
खाड़ी की जल गुणवत्ता का आकलन तीन वर्षों के अंतराल में किया जाता है। यह प्रक्रिया चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करती है।
- अत्यधिक वर्षा: भारी वर्षा से भूमि से पोषक तत्व और गाद बहकर खाड़ी में पहुंचते हैं, जिससे जल प्रदूषण बढ़ता है।
- सूखे: सूखे के समय बहाव कम होता है, जिससे जल गुणवत्ता अस्थायी रूप से सुधर सकती है।
जल प्रदूषण के कारण
- पोषक तत्व प्रदूषण:
- उर्वरकों और पशुपालन से नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व खाड़ी में पहुंचते हैं।
- ये पोषक तत्व शैवाल की अत्यधिक वृद्धि (अल्गल ब्लूम) का कारण बनते हैं, जो घुलित ऑक्सीजन को कम करता है।
- गाद और मिट्टी का कटाव:
- भूमि से बहने वाली गाद जल की पारदर्शिता कम कर देती है।
- इससे जलीय पौधों का विकास प्रभावित होता है।
- अधिक वर्षा और तूफान:
- चरम मौसमी घटनाएं प्रदूषकों और गाद की खाड़ी में पहुंचने की संभावना बढ़ाती हैं।
- शहरीकरण:
- शहरी क्षेत्रों से अपशिष्ट जल और औद्योगिक प्रदूषण भी जल गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं।
खाड़ी के पर्यावरण पर प्रभाव
- समुद्री जीवन पर प्रभाव:
- घुलित ऑक्सीजन की कमी से मछलियों और अन्य समुद्री जीवों का जीवन खतरे में पड़ता है।
- शैवाल की अत्यधिक वृद्धि (अल्गल ब्लूम) मृत क्षेत्र (डेड जोन) बनाती है, जहां जलीय जीवों का जीवित रहना मुश्किल होता है।
- पारिस्थितिक संतुलन का नुकसान:
- जल की पारदर्शिता कम होने से जलीय पौधे सूर्य के प्रकाश का उपयोग नहीं कर पाते, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है।
- पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है।
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
- पीने के पानी की गुणवत्ता:
- प्रदूषित जल स्रोतों से पीने का पानी दूषित हो सकता है।
- इससे डायरिया, पेट की बीमारियां और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- समुद्री भोजन की गुणवत्ता:
- खाड़ी से मछलियों और समुद्री भोजन का उपभोग करने से प्रदूषकों के कारण स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- जीविका पर असर:
- मछली पकड़ने वाले समुदायों को आर्थिक नुकसान होता है, क्योंकि प्रदूषित जल में मछलियों की संख्या घट जाती है।
बेहतर जल गुणवत्ता के लिए उपाय
- प्रदूषण नियंत्रण:
- खेतों से पोषक तत्वों और गाद के बहाव को रोकने के लिए बेहतर कृषि तकनीकों को अपनाना।
- शहरी इलाकों में अपशिष्ट जल का सही प्रबंधन।
- संवेदनशील क्षेत्रों का संरक्षण:
- ज्वारीय क्षेत्रों और आर्द्रभूमियों की रक्षा करना, क्योंकि वे प्रदूषण को रोकने में सहायक होते हैं।
- साफ सफाई के प्रयास:
- स्थानीय और संघीय सरकारों द्वारा प्रदूषित क्षेत्रों की सफाई के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाना।
- जनजागरूकता:
- समुदायों को जल संरक्षण और प्रदूषण कम करने के तरीकों के बारे में शिक्षित करना।
चेसापीक खाड़ी की जल गुणवत्ता में सुधार के प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। यह न केवल पर्यावरण, बल्कि मानव स्वास्थ्य और आजीविका के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है कि हम इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।