नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस मिशन का उद्देश्य देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और किसानों की रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करना है। केंद्र ने राज्य सरकारों से इस पर 7 दिसंबर 2024 तक प्रतिक्रिया देने को कहा है।
मुख्य बिंदु:
- मिशन के तहत 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती शुरू करने की योजना है।
- इस पहल से 1 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे और इसे 15,000 ग्राम पंचायतों में लागू किया जाएगा।
- केंद्र और राज्य सरकारों ने इस मिशन के लिए कुल 2,481 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की रणनीति
सरकार ने इस योजना में 30,000 कृषि सखियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा है। ये कृषि सखियां किसानों के बीच प्राकृतिक खेती की जागरूकता फैलाने और उन्हें प्रशिक्षित करने का काम करेंगी।
इसके लिए 425 कृषि विज्ञान केंद्र और देशभर के 40 कृषि विश्वविद्यालयों का सहयोग लिया जाएगा। प्रत्येक फसल सीजन में किसान समूहों को “एक खेत पर तीन किसान” मॉडल के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मिशन की मुख्य बातें:
- प्राकृतिक खेती का विस्तार:
- प्रत्येक ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती का मॉडल।
- हर किसान को अधिकतम 1 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
- डिजिटल प्रगति ट्रैकिंग:
- मिशन की प्रगति की निगरानी के लिए आईटी पोर्टल तैयार किया जाएगा।
- इस पोर्टल पर किसानों का डेटा और उनके द्वारा अपनाई गई तकनीकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
- प्राकृतिक खेती के लिए एक राष्ट्रीय ब्रांड:
- प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के लिए एक राष्ट्रीय ब्रांड बनाया जाएगा।
- किसानों को सरल प्रमाणन प्रक्रिया के तहत प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
- प्रशासनिक ढांचा:
- मिशन के तहत राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC) और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NEC) का गठन किया जाएगा।
- कृषि मंत्रालय की अध्यक्षता में ये संस्थाएं नीतियां तैयार करेंगी और मिशन का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगी।
कृषि सखियों की भूमिका
- ये सखियां किसानों के समूहों को संगठित करेंगी और उन्हें प्राकृतिक खेती की विधियां सिखाएंगी।
- प्रशिक्षित टीम प्राकृतिक खाद और उर्वरक बनाने के साथ मिट्टी के स्वास्थ्य सुधार की तकनीकों पर फोकस करेगी।
सरकार की अपील
सरकार ने राज्यों से मिशन के दिशा-निर्देशों पर सुझाव देने को कहा है, ताकि इसे और प्रभावी बनाया जा सके। इस पहल से किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलने की उम्मीद है।