Carbon Time Bomb : दुनिया में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन के लिए इंसान ज़िम्मेदार हैं, जो जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण बन रहा है। हर साल वातावरण में कितना कार्बन छोड़ा जा रहा है, इसकी जानकारी उपलब्ध है, लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं होती। इंसानों द्वारा बनाए गए उत्पादों, जैसे प्लास्टिक, इमारतें, और बुनियादी ढांचे में बड़ी मात्रा में कार्बन जमा हो रहा है। यह स्थिति किसी “कार्बन टाइम बम” से कम नहीं है।
नीदरलैंड के ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में बताया कि हर साल करीब 40 करोड़ टन जीवाश्म कार्बन इन उत्पादों में जमा हो रहा है। यह आंकड़ा दिखाता है कि ये उत्पाद एक तरह से कार्बन स्टोर कर रहे हैं, लेकिन उचित प्रबंधन न होने पर यह पर्यावरण और जलवायु के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
1995 से 2019 के बीच जमा हुआ 840 करोड़ टन कार्बन
वैज्ञानिकों के अनुसार, 1995 से 2019 के बीच, 840 करोड़ टन कार्बन इमारतों, प्लास्टिक और बुनियादी ढांचे जैसे उत्पादों में जमा हुआ। हर साल इस मात्रा में 40 करोड़ टन की वृद्धि हो रही है। सबसे अधिक कार्बन रबर और प्लास्टिक उत्पादों में जमा हो रहा है।
उत्पादों के निपटान का खतरा
इन उत्पादों का सही तरीके से निपटान न होने पर यह कार्बन वापस पर्यावरण में पहुंच सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि 1995 से 2019 के बीच, 370 करोड़ टन कार्बन लैंडफिल, जलाने और अन्य माध्यमों से पर्यावरण में वापस गया।
यदि इन उत्पादों को जलाया जाता है, तो यह सीधे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि करेगा। अगर इन्हें लैंडफिल में दबाया जाता है, तो यह कार्बन वहां लंबे समय तक जमा रहेगा, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है।
टेक्नोस्फीयर और जीवाश्म ईंधन का बढ़ता उपयोग
वैज्ञानिकों ने “टेक्नोस्फीयर” (इंसानों द्वारा बनाई गई सभी चीज़ों का योग) में जीवाश्म कार्बन के बढ़ते स्तर की पुष्टि की है। 2011 में, जितना जीवाश्म कार्बन निकाला गया, उसका करीब 9% टेक्नोस्फीयर में जमा हो गया।
1995 से 2019 के बीच, टेक्नोस्फीयर में जमा कार्बन की मात्रा 2019 में हुए कुल कार्बन उत्सर्जन (3,700 करोड़ टन) का लगभग 93% है।
क्या करना चाहिए?
- उत्पादों का जीवनकाल बढ़ाना: लंबे समय तक चलने वाले उत्पाद बनाना जरूरी है।
- रीसाइक्लिंग को बढ़ावा: अधिक उत्पादों को रीसाइक्लिंग में भेजकर कचरे को कम किया जा सकता है।
- लैंडफिल से बचना: कचरे को लैंडफिल में भेजने के बजाय, उसका उपयोग अन्य तरीकों से किया जाना चाहिए।
- जलाने से बचाव: उत्पादों को जलाने से निकलने वाले कार्बन को वातावरण में जाने से रोकना होगा।
- नीतियों का सख्त पालन: सरकारों को लैंडफिल, अपशिष्ट प्रबंधन और रीसाइक्लिंग के लिए सख्त नियम बनाने होंगे।
भविष्य का खतरा
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो 2024 तक जीवाश्म ईंधन और सीमेंट उद्योग से कार्बन उत्सर्जन रिकॉर्ड 3,700 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है।
ग्लोबल कार्बन बजट के अनुसार, आज जीवाश्म ईंधन का उपयोग 5% से बढ़कर 7% तक हो गया है। इससे यह साफ है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सिर्फ ऊर्जा उत्पादन ही नहीं, बल्कि उत्पादों में जमा हो रहे कार्बन पर भी ध्यान देना होगा।