दिल्ली में हाल ही में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में तेजी से गिरावट आई है, जिसके चलते वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने आज सुबह ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के दूसरे चरण को लागू किया है।
AQI का हाल
सुबह 8 बजे दिल्ली का AQI 317 दर्ज किया गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। AQI को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- 0 से 50: अच्छा
- 51 से 100: संतोषजनक
- 101 से 200: मध्यम
- 201 से 300: खराब
- 301 से 400: बहुत खराब
- 401 से 450: गंभीर
- 450 से ऊपर: गंभीर-प्लस
भविष्यवाणी और कारण
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, आने वाले दिनों में दिल्ली का औसत AQI “बहुत खराब” श्रेणी में रहने की संभावना है। इसका मुख्य कारण प्रतिकूल मौसम और जलवायु परिस्थितियाँ हैं। हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की गतिविधियों को भी प्रदूषण बढ़ाने का एक बड़ा कारण माना जा रहा है, खासकर अक्टूबर और नवंबर में।
GRAP का चरण 2
GRAP के चरण 2 में निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
- कोयला और लकड़ी पर प्रतिबंध: कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर रोक, और डीजल जेनरेटर सेट्स का उपयोग भी सीमित किया जाएगा।
- सड़कों की सफाई: मशीनीकृत सफाई और जल छिड़काव प्रतिदिन किया जाएगा।
- धूल नियंत्रण: निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय लागू किए जाएंगे।
- यातायात प्रबंधन: ट्रैफिक जाम वाले स्थानों पर पुलिस तैनात की जाएगी और निजी वाहनों के उपयोग को कम करने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाया जाएगा।
- सार्वजनिक परिवहन: बस और मेट्रो सेवाओं को बढ़ाया जाएगा, और लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की सलाह दी गई है।
अतिरिक्त सलाह
लोगों से आग्रह किया गया है कि वे अपने वाहनों में समय-समय पर एयर फिल्टर बदलें और अक्टूबर से जनवरी के बीच धूल उत्पन्न करने वाली निर्माण गतिविधियों से बचें। इसके अलावा, खुले में ठोस कचरे और जैव-ऊर्जा का जलाना भी न करने की सलाह दी गई है।
GRAP के चरण 1 के उपाय
GRAP के चरण 1 के तहत, जो 15 अक्टूबर से प्रभावी है, नियमित रूप से सड़कों की मशीनीकृत सफाई और जल छिड़काव किया जा रहा है। खुले में कचरे को जलाने, ईटरी में कोयला या लकड़ी के उपयोग और डीजल जनरेटर के सीमित उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
भविष्य के कदम
यदि AQI 401 से 450 के बीच होता है, तो GRAP का चरण 3 लागू किया जाएगा, जिसमें सख्त उपाय किए जाएंगे। इन उपायों में सड़क सफाई की आवृत्ति बढ़ाना, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, खनन और पत्थर तोड़ने की गतिविधियों को रोकना, और कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए स्कूलों में शारीरिक कक्षाएं बंद करने की संभावना शामिल है।
जब AQI 450 से ऊपर जाएगा, तो GRAP का चरण 4 लागू किया जाएगा, जिसमें ट्रकों का प्रवेश दिल्ली में रोका जाएगा, और बड़े पैमाने पर निर्माण और ध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
दिल्ली सरकार ने हाल ही में “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान भी शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य है कि लोग ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े होने पर अपने वाहन का इंजन बंद करें।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने “ग्रीन वार रूम” स्थापित किया है और 5,000 एकड़ में बायो-डिकंपोज़र का छिड़काव किया जा रहा है ताकि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके।
इन सभी उपायों का मुख्य उद्देश्य दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार करना और प्रदूषण के स्तर को कम करना है, जिससे लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो सके।
पर्यावरणीय प्रभाव: दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण
दिल्ली में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे रहा है। यहां कुछ प्रमुख पर्यावरणीय प्रभावों का उल्लेख किया गया है:
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर होता है, जिससे श्वसन रोग, हृदय रोग, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं। विशेष रूप से, बच्चों और बुजुर्गों को अधिक खतरा होता है।
- PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषक शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं और इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और फेफड़ों की अन्य समस्याएं हो सकती है।
- जलवायु परिवर्तन:
- प्रदूषण से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसें जलवायु परिवर्तन में योगदान करती हैं। इससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है, जो जलवायु अस्थिरता और चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ाता है।
- वायु प्रदूषण के कारण बनने वाले कण (aerosols) भी जलवायु को प्रभावित करते हैं, जिससे वर्षा के पैटर्न में बदलाव आता है।
- आवाज प्रदूषण:
- शहरी क्षेत्रों में बढ़ती वाहनों की संख्या और निर्माण कार्यों के कारण आवाज़ प्रदूषण में वृद्धि होती है, जो वन्यजीवों के जीवन को प्रभावित करता है और उनके प्राकृतिक आवास में बाधा डालता है।
- जल गुणवत्ता में कमी:
- वायु प्रदूषण जल स्रोतों में भी प्रभाव डालता है। जब हवा में मौजूद धूल और प्रदूषक वर्षा के साथ मिलकर जल स्रोतों में गिरते हैं, तो यह जल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।