एवियन पावर लाइन इंटरेक्शन कमेटी (एपीएलआईसी) के अनुसार, कई पक्षी बिजली की लाइनों की ओर आकर्षित होते हैं और अक्सर बिजली के खंभों व टावरों पर बैठते या घोंसला बनाते हैं। इससे उन्हें बिजली के झटके का खतरा रहता है, क्योंकि बिजली के तारों या खंभों के संपर्क में आने से विद्युत प्रवाह उनके शरीर से होकर गुजर सकता है।
1988 से, लुप्तप्राय, प्रवासी और अन्य पक्षियों को बिजली के झटके से बचाने के लिए एक पक्षी-संरक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसने पक्षियों के कारण होने वाली बिजली कटौती को भी कम किया है।लेकिन सवाल यह है कि पक्षी बिजली के तारों पर बैठकर सुरक्षित रहते हैं, जबकि मनुष्य के लिए यह जानलेवा हो सकता है। इसका कारण बिजली के प्रवाह का विज्ञान है।
बिजली हमेशा उच्च वोल्टेज से कम वोल्टेज या जमीन (शून्य वोल्टेज) की ओर बहती है। जब कोई पक्षी एक ही तार पर बैठता है, तो उसके दोनों पैर एक ही वोल्टेज पर रहते हैं। इस स्थिति में उसके शरीर में वोल्टेज का अंतर नहीं होता, इसलिए बिजली उसके शरीर से नहीं गुजरती और उसे झटका नहीं लगता। सरल शब्दों में, पक्षी तार का हिस्सा बन जाता है, न कि बिजली के प्रवाह का रास्ता।हालांकि, अगर कोई पक्षी दो अलग-अलग वोल्टेज वाले तारों या एक तार और जमीन से जुड़ी किसी वस्तु (जैसे खंभा या पेड़) को छूता है, तो उसका शरीर बिजली के लिए रास्ता बन जाता है।
इससे बिजली उसके शरीर से होकर गुजरती है, जिससे झटका लगता है या जानलेवा स्थिति बन सकती है। यही कारण है कि बिजली की लाइनों को एक-दूसरे से दूर और ऊंचाई पर रखा जाता है, ताकि पक्षी या लोग एक साथ दो बिंदुओं को न छू सकें।मनुष्यों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है, क्योंकि वे आमतौर पर जमीन के संपर्क में रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति जमीन पर खड़े होकर बिजली के तार को छूता है, तो उसका शरीर बिजली के लिए रास्ता बन जाता है, जिससे गंभीर झटका लग सकता है।
इसीलिए लाइनमैन विशेष सुरक्षात्मक गियर पहनते हैं और सख्त सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं।पक्षियों और वन्यजीवों को बिजली की लाइनों से बचाने के लिए प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) ने भी बिजली वितरण नेटवर्क से जुड़ी वन्यजीवों की मृत्यु दर को कम करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
ये दिशा-निर्देश बिजली लाइनों को वन्यजीवों के लिए सुरक्षित बनाने और बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद करते हैं।इस तरह, पक्षियों और मनुष्यों के बीच का अंतर बिजली के प्रवाह और उनके पर्यावरणीय संपर्क में है। पक्षी-संरक्षण कार्यक्रम और सुरक्षा दिशा-निर्देशों के जरिए न केवल वन्यजीवों को बचाया जा रहा है, बल्कि बिजली कटौती की समस्या को भी कम किया जा रहा है।