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बीएआरसी ने पेश की आठ नई उच्च उपज देने वाली, जलवायु-प्रतिरोधी फसलें, जो भारतीय कृषि में क्रांति लाएंगी

by kishanchaubey
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मुंबई स्थित भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने शुक्रवार को आठ नई उन्नत और जलवायु-प्रतिरोधी फसल किस्मों का अनावरण किया है। इनमें गेहूं, चावल और तिलहन की किस्में शामिल हैं, जो कि किरण-आधारित उत्परिवर्तन प्रजनन तकनीक का उपयोग करके विकसित की गई हैं। ये गैर-जीएमओ (Non-GMO) किस्में भारत में कृषि को क्रांतिकारी रूप से बदलने का दावा करती हैं।

नई फसल किस्में और उनकी विशेषताएं

बीएआरसी के अनुसार, इन नई किस्मों में पाँच अनाज और तीन तिलहन शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न कृषि स्थितियों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इन फसलों को राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर लॉन्च किया गया है।

1. गेहूं की नई किस्में

भारत में गेहूं उत्पादन को गर्मी और अन्य पर्यावरणीय समस्याओं के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बीएआरसी ने पहली बार गेहूं की किस्में विकसित की हैं:

  • ट्रोम्बे जोधपुर गेहूं-153 (TJW-153):
    • यह राजस्थान के जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित की गई।
    • गर्मी सहनशील (Heat-tolerant), जो तापमान के बावजूद स्थिर उपज सुनिश्चित करती है।
    • यह फंगल रोगों जैसे ब्लास्ट और पाउडरी मिल्ड्यू से भी सुरक्षित है।
    • राजस्थान की शुष्क परिस्थितियों के लिए आदर्श।
  • ट्रोम्बे राज विजय गेहूं-155 (TRVW-155):
    • राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के सहयोग से मध्य प्रदेश के लिए विकसित।
    • इसमें जिंक और आयरन की मात्रा अधिक है।
    • रोटी बनाने की बेहतर गुणवत्ता और फंगल रोगों से प्रतिरोधी है।

2. चावल की नई किस्में

  • बौना लुचाई-CTLM:
    • यह छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित की गई।
    • बौनी, जल्दी पकने वाली और मज़बूती (बारिश और हवा में गिरने का डर नहीं)।
    • 40% अधिक उपज जो कि इसके पूर्वज लुचाई चावल की तुलना में है।
  • संजीवनी चावल:
    • यह लयाचा चावल से विकसित किया गया है।
    • यह 350 से अधिक फाइटोकेमिकल्स से भरपूर है, जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है, जैसे इम्यूनिटी बढ़ाना और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव।
  • ट्रोम्बे कोकण खारा चावल:
    • महाराष्ट्र के खारे तटीय इलाकों के लिए उपयुक्त।
    • 15% अधिक उपज खारे पानी में भी।
    • डॉ. बालासाहेब सावंत कोकण कृषि विश्वविद्यालय, दापोली के साथ विकसित।

3. तिलहन की नई किस्में

  • ट्रोम्बे जोधपुर सरसों-2 (TJM-2):
    • राजस्थान के लिए।
  • ट्रोम्बे लातूर तिल-10 (TLT-10):
    • महाराष्ट्र के लिए।
  • छत्तीसगढ़ ट्रोम्बे मूंगफली (CGTM):
    • छत्तीसगढ़ के लिए।

कृषि में बदलाव की दिशा

विवेक भसीन, बीएआरसी के निदेशक ने इन नई किस्मों को किसानों के लिए वरदान बताया। इनमें जल्दी पकने, रोग-प्रतिरोधक क्षमता, जलवायु सहनशीलता, और अधिक पैदावार जैसी विशेषताएं हैं।

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  • गेहूं और चावल की उपज में बढ़ते तापमान और अन्य जलवायु परिवर्तन समस्याओं को देखते हुए, ये नई किस्में किसानों के लिए आय बढ़ाने का एक प्रमुख उपाय बन सकती हैं।
  • बीएआरसी की यह पहल खाद्य और पोषण सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में निरंतर वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी।

बीएआरसी के साथ काम कर रहे वैज्ञानिकों ने यह भी सुनिश्चित किया है कि फसल उत्पादन और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए अनुकूल उपाय किए जाएं।

  • खारे पानी वाले क्षेत्रों में खेती को बढ़ावा दिया गया है।
  • फसल उत्पादन में वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक निगरानी की जाएगी।

बीएआरसी द्वारा विकसित की गई ये नई जलवायु-प्रतिरोधी फसलें भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं। ये फसलें किसानों की आय बढ़ाने, कृषि में स्थिरता लाने और खाद्य सुरक्षा में योगदान देने के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी मदद करेंगी।

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