प्लास्टिक प्रदूषण सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि इंसानी स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर चुनौती बन गया है। इसके बढ़ते खतरों को देखते हुए, विशेषज्ञों ने आम जनता और प्रशासन से इस समस्या का समाधान करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है।
राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस पर चर्चा
सोमवार को राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस के मौके पर भुवनेश्वर में एक चिकित्सा सम्मेलन आयोजित किया गया। यह आयोजन इंडिया क्लीन एयर नेटवर्क (IndiaCAN) द्वारा किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने प्लास्टिक प्रदूषण और माइक्रोप्लास्टिक्स के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर पर चर्चा की।
इस कार्यक्रम में क्रिटिकल केयर, बाल चिकित्सा, नवजात चिकित्सा और सरकारी चिकित्सा केंद्रों के चिकित्सकों ने भाग लिया।
डॉ. ममता पांडा, एक वरिष्ठ बाल चिकित्सा विशेषज्ञ, ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक्स बच्चों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं।
- ये छोटे कण बच्चों की साँसों में, पीने के पानी में और खाने में पाए जाते हैं।
- ये कण शरीर में जमा हो सकते हैं और दिमागी विकास को बाधित कर सकते हैं, जिससे लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
भुवनेश्वर में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या
कार्यक्रम में “शहरीकरण और ठोस कचरा उत्पादन: भुवनेश्वर, ओडिशा में पर्यावरणीय प्रभाव” नाम की एक सर्वे रिपोर्ट पेश की गई।
- भुवनेश्वर हर दिन लगभग 500 टन ठोस कचरा पैदा करता है।
- इसमें 61.81% बायोडिग्रेडेबल कचरा,
- 27.15% निष्क्रिय सामग्री,
- 7.8% प्लास्टिक और चमड़ा,
- और 1.25% धातु और कांच शामिल है।
- शहर में हर दिन लगभग 30 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।
- सैनिक स्कूल के पास अस्थायी ट्रांजिट स्टेशन और भाउसुनी डंपिंग यार्ड जैसे स्थानों पर कचरा खुले में फेंका जा रहा है, जिससे पर्यावरण को बड़ा खतरा हो रहा है।
माइक्रोप्लास्टिक्स के स्वास्थ्य पर प्रभाव
डॉ. प्रज्ञन कुमार राउत्रे, क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ, ने बताया कि माइक्रोप्लास्टिक्स में मौजूद हानिकारक रसायन शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में जमा हो सकते हैं।
- यह कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- समाज को तुरंत प्लास्टिक उपयोग कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।
डॉ. अर्पिता सुभदर्शिनी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सा अधिकारी, ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण और माइक्रोप्लास्टिक्स ने हमारे पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित किया है।
- ये प्रदूषक न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि सर्कुलर इकोनॉमी (चक्राकार अर्थव्यवस्था) के सिद्धांतों को भी बाधित कर रहे हैं।
समस्या का समाधान कैसे हो?
अजय मित्तल, इंडियाCAN के सह-अध्यक्ष, ने कहा कि भुवनेश्वर में कचरा प्रबंधन के बुनियादी ढाँचे की कमी है।
- कचरे के प्राथमिक संग्रहण, भंडारण और परिवहन में सुधार की जरूरत है।
- जागरूकता की कमी और भूमि निगरानी में खामियों से समस्या और गंभीर हो रही है।
विशेषज्ञों की अपील
- प्लास्टिक उपयोग को कम करना।
- माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभाव को रोकने के लिए सरकारी नीतियाँ और उपाय लागू करना।
- कचरे के सही निपटान और पुनर्चक्रण पर जोर देना।
- आम जनता को प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूक करना।
प्लास्टिक प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अब तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि पर्यावरण और हमारी सेहत दोनों को सुरक्षित रखा जा सके।