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भोपाल का फेफड़ा ‘भोज वेटलैंड’ खतरे में! एनजीटी में याचिका दायर, कलेक्टर को नोटिस

by kishanchaubey
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Bhopal News : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का सबसे अहम जल स्रोत और पर्यावरण संतुलन का केंद्र भोज वेटलैंड खतरे में है। इसके चारों कोनों पर लगातार गैरकानूनी गतिविधियाँ चल रही हैं, जिनमें ज़मीन पर कब्ज़ा, अवैध निर्माण, कचरे का डंपिंग और व्यावसायिक गतिविधियाँ शामिल हैं। इसी गंभीर मुद्दे को लेकर राशिद नूर खान ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के सेंट्रल जोन बेंच में याचिका दायर की है। मामले को गंभीर मानते हुए NGT ने भोपाल कलेक्टर को नोटिस जारी कर छह हफ्ते के अंदर जवाब देने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 2 मई 2025 को होगी।

क्या है याचिका में?
याचिकाकर्ता ने बताया कि भोज वेटलैंड के फुल टैंक लेवल (FTL) और प्रभाव क्षेत्र में लगातार अनियमितताएँ बढ़ रही हैं। यहाँ पर:
✔ जमीन का अवैध अधिग्रहण किया जा रहा है।
✔ बेतरतीब कचरा डंपिंग और लैंडफिलिंग से पानी का बहाव प्रभावित हो रहा है।
✔ अनधिकृत पक्के निर्माण किए जा रहे हैं।
✔ कंक्रीट प्लांट, फ्लाई ऐश ब्लॉक फैक्ट्री, रिसॉर्ट जैसी व्यावसायिक गतिविधियाँ चल रही हैं।

ये सभी गतिविधियाँ वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010 और 2017 का सीधा उल्लंघन हैं।

भोपाल के लिए भोज वेटलैंड क्यों ज़रूरी?

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  1. पानी का मुख्य स्रोत:
    भोपाल की जलापूर्ति का बड़ा हिस्सा बड़ा तालाब यानी ऊपरी झील से आता है, जो भोज वेटलैंड का मुख्य हिस्सा है। अगर यह प्रदूषित हुआ, तो शहर को गंभीर जल संकट झेलना पड़ेगा।
  2. जलवायु संतुलन:
    भोज वेटलैंड गर्मी में भोपाल को ठंडा बनाए रखने में मदद करता है और मानसून में जलभराव से बचाव करता है।
  3. जैव विविधता का घर:
    यहाँ कई प्रवासी पक्षी आते हैं और स्थानीय वनस्पतियों के लिए यह महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसके नष्ट होने से पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होगा।
  4. विश्व धरोहर:
    रामसर साइट के रूप में मान्यता प्राप्त भोज वेटलैंड का संरक्षण न सिर्फ भोपाल, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अहम है।

अगर भोज वेटलैंड खत्म हुआ तो?
🚨 जल संकट: झील की गहराई कम होने से भोपाल की जल आपूर्ति पर बुरा असर पड़ेगा।
🚨 बाढ़ का खतरा: बारिश का पानी सही से नहीं बह पाएगा, जिससे जलभराव और बाढ़ की स्थिति बनेगी।
🚨 गर्मी बढ़ेगी: झील का सिकुड़ना शहर के तापमान को और बढ़ा देगा।
🚨 पर्यटन को झटका: यह स्थल भोपाल के टूरिज्म का अहम हिस्सा है। अगर यह दूषित हुआ, तो पर्यटक कम होंगे।

NGT का कड़ा रुख
NGT ने प्रशासन से पूछा है कि इन गतिविधियों को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे क्या योजना है। मामले की अगली सुनवाई 2 मई 2025 को होगी।

क्या होगा आगे?
अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन इस पर क्या जवाब देता है। क्या भोज वेटलैंड को बचाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे, या फिर ये शहर की अनदेखी का शिकार हो जाएगा?

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