भोपाल, 29 मार्च 2025: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का बड़ा तालाब, जिसे शहर का दिल कहा जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। दैनिक भास्कर ने 28 मार्च को अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि भोपाल के बड़े तालाब का 25% हिस्सा गायब हो चुका है। जी हां, आपने सही सुना—पूरा एक-चौथाई तालाब खत्म! लेकिन क्या यह दावा सच है, या फिर इसके पीछे कुछ और कहानी छिपी है? एनवायरमेंट स्टोरी ने इस खबर की गहराई में जाकर पड़ताल की और कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने लाए।
सेटेलाइट इमेज से शुरू हुई कहानी
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट गूगल अर्थ की सेटेलाइट इमेज पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 में तालाब का क्षेत्रफल 39.8 वर्ग किलोमीटर था, जो अब घटकर 29.6 वर्ग किलोमीटर रह गया है। लेकिन सवाल यह है कि गूगल अर्थ की तस्वीरों से तालाब की सीमा कैसे तय की गई? तालाब के किनारों पर पहले से बनी सीमांकन मुनारें (बाउंड्री पिलर्स) हैं, जो गूगल अर्थ पर नजर नहीं आतीं। फिर तालाब का क्षेत्रफल कैसे मापा गया? गूगल अर्थ में पानी का रंग काला या गहरा हरा दिखता है, जबकि खेतों और जंगलों का रंग हल्का हरा। अगर तस्वीर गर्मी के मौसम की हो, जब पानी कम होता है, तो डार्क हरा रंग कम दिखेगा। लेकिन भास्कर ने यह स्पष्ट नहीं किया कि 1995 और 2025 की तस्वीरें किस महीने की हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि 1995 की इमेज मानसून की हो और 2025 की गर्मी की? अगर ऐसा है, तो पानी कम दिखना स्वाभाविक है, और यह निष्कर्ष गलत हो सकता है।
आंकड़ों में उलझन
रिपोर्ट के आंकड़े और भी हैरान करने वाले हैं। भास्कर के मुताबिक, 2005 में तालाब का क्षेत्रफल 37 वर्ग किलोमीटर था, जो 2009 में घटकर सिर्फ 7 वर्ग किलोमीटर रह गया। यानी चार साल में तालाब का 80% से ज्यादा हिस्सा गायब! फिर 2010 में यह अचानक बढ़कर 33 वर्ग किलोमीटर हो गया। चार साल में पांच गुना सिकुड़ने और एक साल में चार गुना बढ़ने की यह कहानी समझ से परे है। क्या तालाब में कोई जादुई लचीलापन है, या फिर ये आंकड़े गलत हैं? अगर 2009 में तालाब सचमुच 7 वर्ग किलोमीटर तक सिकुड़ गया था, तो यह भोपाल के लिए आपदा की खबर होती। लेकिन उस वक्त ऐसी कोई बात सामने नहीं आई।
असली कहानी क्या है?
भास्कर की यह रिपोर्ट टाउन प्लानर डॉ. शीतल शर्मा की रिसर्च पर आधारित है। एनवायरमेंट स्टोरी ने डॉ. शर्मा से बात की। उन्होंने बताया कि उनकी रिसर्च में गूगल अर्थ की इमेज और तालाब के पानी को आधार बनाया गया। लेकिन बातचीत से दो बातें साफ हुईं। पहली, रिपोर्ट और खबर के बीच तालमेल की कमी है, जिससे असमंजस पैदा हुआ। दूसरी, अतिक्रमण तालाब के पानी वाले हिस्से में नहीं, बल्कि इसके कैचमेंट एरिया में हो रहा है। तो फिर हेडलाइन में “तालाब का 25% हिस्सा गायब” का दावा क्यों? ऐसा लगता है कि खबर को सनसनीखेज बनाने के लिए तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया।
सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं?
मध्य प्रदेश सरकार की 16 मार्च 2022 की अधिसूचना के अनुसार, बड़े तालाब का क्षेत्रफल 38.72 वर्ग किलोमीटर था। भास्कर की रिपोर्ट कहती है कि अब यह 29.6 वर्ग किलोमीटर रह गया। यानी तीन साल में 9.12 वर्ग किलोमीटर हिस्सा “गायब” हुआ। लेकिन क्या यह सचमुच गायब हुआ, या खबर में गायब कर दिया गया? यह सवाल अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के सामने जाएगा।
NGT में जाएगी बात
एनवायरमेंट स्टोरी इस मामले को NGT में उठाने जा रही है। इसमें मध्य प्रदेश सरकार, दैनिक भास्कर और डॉ. शीतल शर्मा को पार्टी बनाया जाएगा। लक्ष्य यह है कि ट्रिब्यूनल में डॉ. शर्मा अपनी रिसर्च के आधार पर स्पष्ट करें कि 25% तालाब कैसे गायब हुआ। अगर यह सच है, तो दोषियों पर कार्रवाई हो और तालाब के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठें।
तालाब बचाने की जिम्मेदारी हमारी
बड़ा तालाब भोपाल की शान है। अगर इसमें अतिक्रमण हो रहा है, तो इसे रोकना जरूरी है। लेकिन सनसनीखेज खबरों से तालाब नहीं बचेगा। सच्चाई सामने लाने और मिलकर काम करने की जरूरत है। अगर सच में 25% तालाब गायब हुआ है, तो यह सिर्फ भोपाल की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है। एनवायरमेंट स्टोरी इस लड़ाई में साथ है, और हमारा मकसद सिर्फ सवाल उठाना नहीं, बल्कि समाधान तक पहुंचना है।