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भोपाल: AQI 300 के पार, जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर 23 लाख लोग, प्रशासन बेखबर

by kishanchaubey
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भोपाल, जिसे झीलों की नगरी और हरियाली के लिए जाना जाता है, अब जहरीली हवा की चपेट में आ चुका है। नवंबर में सातवीं बार शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार चला गया है। मंगलवार शाम भोपाल के कलेक्ट्रेट परिसर में AQI 316, पर्यावरण परिसर में 312 और टीटी नगर में 309 दर्ज किया गया। इसके बावजूद प्रशासन की तरफ से न तो कोई सख्ती की गई है और न ही किसी प्रकार की पाबंदी लगाई गई है।

भोपाल में बढ़ता प्रदूषण: आंकड़ों पर नजर

भोपाल का AQI आमतौर पर 60 तक रहता था, लेकिन नवंबर में ये कई बार खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है:

  • 1 नवंबर: 306
  • 6 नवंबर: 301
  • 7 नवंबर: 318
  • 8 नवंबर: 323
  • 9 नवंबर: 310
  • 13 नवंबर: 367
  • 19 नवंबर: 315

प्रदूषण के मुख्य कारण

  1. सड़क और निर्माण कार्यों की धूल: मेट्रो प्रोजेक्ट और सड़क निर्माण के दौरान उड़ती धूल।
  2. वाहनों का धुआं: कई वाहन बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) के चल रहे हैं।
  3. कचरा जलाना: जगह-जगह कचरे को जलाने से धुआं फैल रहा है।
  4. पेड़ों की कटाई: अनियोजित विकास के कारण पेड़ों की संख्या कम हो रही है।
  5. ग्रीन कवर की कमी: शहर में हरियाली घटने से हवा शुद्ध नहीं हो पा रही।

प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव

भोपाल की जहरीली हवा में PM 2.5 की मात्रा खतरनाक स्तर पर है। यह छोटे कण सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाते हैं और निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं:

  • सांस की बीमारियां (अस्थमा, ब्रोंकाइटिस)
  • फेफड़ों में संक्रमण
  • बच्चों और बुजुर्गों में इम्यूनिटी कमजोर होना
  • हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ना
  • आंखों और गले में जलन

क्या कह रहे हैं नागरिक और विशेषज्ञ?

नागरिकों की शिकायतें:

  • “कचरा जलाने पर रोक लगनी चाहिए, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।”
    • उमाशंकर तिवारी, बागमुगालिया
  • “पेड़ों की कटाई ने शहर के पर्यावरण को बर्बाद कर दिया है।”
    • रवि द्विवेदी, कोलार

विशेषज्ञों के सुझाव:

  • निर्माण स्थलों पर ग्रीन नेट का उपयोग करें।
  • कचरे का उचित प्रबंधन किया जाए ताकि इसे जलाने की नौबत न आए।
  • निर्माण सामग्री (रेत, सीमेंट) को खुले में न रखें।
  • वाहनों का PUC चेक सख्ती से किया जाए।
  • खुले तंदूर और पेड़ों की कटाई पर तुरंत रोक लगाई जाए।

प्रशासन की लापरवाही

भोपाल में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) के मुताबिक लाइव AQI डेटा 200-250 के बीच दिखता है, लेकिन पीक आवर्स में ये 300 के पार चला जाता है। निर्माण कार्यों में उड़ रही धूल और सड़क पर गड्ढों के कारण बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

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पर्यावरणीय प्रभाव

प्रदूषण न केवल इंसानों बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा असर डाल रहा है:

  • पेड़ों और फसलों की वृद्धि धीमी हो रही है।
  • मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है।
  • पक्षियों और जानवरों के प्राकृतिक आवास खतरे में हैं।

जरूरी कदम

दिल्ली की तरह भोपाल में भी सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए, जैसे:

  • निर्माण कार्यों पर नियंत्रण।
  • सार्वजनिक परिवहन का बढ़ावा।
  • कचरा जलाने पर सख्ती।
  • वर्क फ्रॉम होम और स्कूल बंद करने जैसे अस्थायी उपाय।

यदि जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भोपाल में स्थिति और खराब हो सकती है। सरकार, नागरिक और विशेषज्ञों को मिलकर इस संकट का समाधान करना होगा।

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