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वायदा व्यापार पर रोक से बढ़ी कीमतों में अस्थिरता, किसानों और उपभोक्ताओं को हुआ नुकसान

by kishanchaubey
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सरकार ने 2021 में सात प्रमुख कृषि उत्पादों – चना, गेहूं, धान, मूंग, कच्चा पाम ऑयल, सरसों और सोयाबीन – की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए वायदा व्यापार (फ्यूचर्स ट्रेडिंग) पर रोक लगाई थी। हालांकि, हाल ही में दो प्रमुख प्रबंधन संस्थानों द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि यह कदम न केवल कृषि उत्पादों की कीमतों को अस्थिर बना गया, बल्कि उचित मूल्य निर्धारण को भी अधिक कठिन बना दिया।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

यह अध्ययन बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (नोएडा) और आईआईटी बॉम्बे के शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

वायदा व्यापार का महत्व

  • वायदा व्यापार (फ्यूचर्स ट्रेडिंग) एक ऐसा वित्तीय साधन है जो किसानों और व्यापारियों को कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचने का विकल्प देता है।
  • यह भविष्य की कीमतों का पूर्वानुमान लगाकर जोखिम को कम करने का एक माध्यम है।

वायदा व्यापार पर रोक के दुष्प्रभाव

  1. कीमतों में अस्थिरता:
    वायदा व्यापार पर रोक से मंडियों में कृषि उत्पादों की कीमतों के लिए कोई स्पष्ट संदर्भ मूल्य (रेफरेंस प्राइस) नहीं था। इसका नतीजा यह हुआ कि कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव हुआ।
  2. किसानों और उपभोक्ताओं पर प्रभाव:
    • किसानों को अपने उत्पादों के लिए उचित मूल्य नहीं मिला।
    • उपभोक्ताओं को महंगे दामों पर खाद्य तेल जैसे उत्पाद खरीदने पड़े।
  3. खाद्य तेल की कीमतों में उछाल:
    • विशेष रूप से सरसों और सोयाबीन के तेल की कीमतें काफी बढ़ गईं।
    • खुदरा और थोक बाजारों में खाद्य तेल के दाम बढ़ने से आम जनता पर वित्तीय बोझ पड़ा।
  4. अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर:
    • वायदा व्यापार पर रोक के कारण कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में हेज (मूल्य जोखिम से सुरक्षा) करना मुश्किल हो गया।

किसानों का अनुभव

आईआईटी बॉम्बे ने महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों और किसान उत्पादक संगठनों से बातचीत की।

  • किसानों ने बताया कि वायदा व्यापार से स्थानीय बाजार (स्पॉट मार्केट) की कीमतों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता था।
  • इसके उलट, यह कीमतों को स्थिर रखने में मदद करता था और जोखिम प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण साधन था।

अध्ययन का निष्कर्ष

दोनों अध्ययनों ने यह स्पष्ट किया कि वायदा व्यापार पर रोक लगाना मूल्य स्थिरता या जोखिम प्रबंधन का स्थायी समाधान नहीं है।

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  • वायदा व्यापार ने न केवल किसानों को कीमतों का पूर्वानुमान लगाने में मदद की, बल्कि उन्हें बाजार में आत्मविश्वास के साथ भाग लेने का अवसर भी दिया।
  • रोक लगाने के बाद भी कीमतें ऊंची और अस्थिर रहीं, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग-आपूर्ति की परिस्थितियों पर निर्भर थीं।

सरकार को क्या करना चाहिए?

  • वायदा व्यापार को किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह इस्तेमाल करना चाहिए।
  • इससे किसानों को भविष्य की कीमतों का बेहतर पूर्वानुमान मिलेगा और वे बाजार की अनिश्चितताओं से बच सकेंगे।
  • इस प्रणाली को सही तरीके से लागू करके कीमतों में स्थिरता लाई जा सकती है।

यह अध्ययन इस बात का सबूत है कि वायदा व्यापार पर रोक लगाना न केवल अप्रभावी था, बल्कि इसके कारण किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान हुआ।

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