Assam Elephant : असम में हाथियों की संख्या बढ़कर 5,828 हो गई है, जो राज्य में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में इसकी घोषणा की। असम वन विभाग ने 2024 में हाथियों की जनगणना पूरी की, जो सात साल बाद की गई है।
सात साल बाद हुई जनगणना
मुख्यमंत्री सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए कहा, “2024 की जनगणना के अनुसार, असम में हाथियों की संख्या 5,719 से बढ़कर 5,828 हो गई है।” उन्होंने हाथियों के संरक्षण के लिए वन विभाग की सराहना की।
हाथियों की संख्या में बढ़ोतरी
असम वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार:
- 2002 में हाथियों की संख्या 5,246 थी।
- 2008 में यह बढ़कर 5,281 हो गई।
- 2011 में यह 5,620 तक पहुंच गई।
मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या
असम में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर समस्या बनी हुई है। अक्टूबर 2024 में बिस्वनाथ जिले के गोरईमारी इलाके में एक जंगली हाथी का शव धान के खेत में मिला था। स्थानीय लोगों ने इसे देखा और तुरंत वन अधिकारियों और पुलिस को सूचित किया।
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के उपाय
29 दिसंबर 2024 को असम सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए कई जिलों में “एंटी-डिप्रेडेशन स्क्वॉड” गठित किए।
- इन दस्तों का उद्देश्य इंसानों और जानवरों दोनों की सुरक्षा करना है।
- खासतौर पर तब, जब जंगली जानवर मानव बस्तियों में घुसपैठ करते हैं।
- इस पहल में स्थानीय किसानों और ग्रामीणों को भी शामिल किया गया है, जो वन्यजीवों से अपने खेतों की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य की पहल
पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य के वन रेंज अधिकारी ने बताया कि इस योजना में किसानों और स्थानीय ग्रामीणों को सीधे जोड़ा गया है। वे जंगली जानवरों से अपनी खेती की रक्षा करने में वन विभाग की मदद कर रहे हैं।
असम का वन्यजीव संरक्षण में योगदान
हाथियों की बढ़ती संख्या असम के वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को दर्शाती है। एंटी-डिप्रेडेशन स्क्वॉड जैसे कदम मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं।