गुजरात में एशियाटिक शेरों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। मई 2025 की ताजा गणना के अनुसार, राज्य में अब अनुमानित 891 शेर हैं, जो 2020 की गणना में 674 और 2001 में 327 की तुलना में 172% की वृद्धि दर्शाता है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 21 मई को गांधीनगर में यह जानकारी साझा की। इस आंकड़े में 196 नर, 330 मादा, और कई शावक व किशोर शेर शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “शेरों की बढ़ती आबादी अनुकूल भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के साथ-साथ राज्य सरकार के वन्यजीव संरक्षण के समर्पित प्रयासों का परिणाम है।” शेरों की संख्या 2001 में 327 से बढ़कर 2005 में 359, 2010 में 411, 2015 में 523, 2020 में 674 और अब 891 हो गई है।
आधुनिक तकनीक से गणना
शेरों की गणना के लिए 10 से 13 मई तक चले सर्वेक्षण में 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और 11 जिलों के 58 तालुका शामिल किए गए। इसमें 3,854 लोगों, जिसमें स्थानीय सरपंच, ग्रामीण, वनकर्मी और अधिकारी शामिल थे, ने भाग लिया।
डिजिटल कैमरे, कैमरा ट्रैप, रेडियो कॉलर, जीपीएस, e-gujforest ऐप, जीआईएस और एआई-आधारित सॉफ्टवेयर का उपयोग कर शेरों की लोकेशन और पहचान दर्ज की गई। ब्लॉक काउंट मेथड और डायरेक्ट बीट वेरिफिकेशन के जरिए यह गणना पूरी की गई।
संरक्षण की चुनौतियां
विशेषज्ञों का कहना है कि शेरों की बढ़ती संख्या के साथ पारिस्थितिकीय और प्रबंधन संबंधी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट रवि चेल्लम ने मोंगाबे हिन्दी को बताया, “शेर अब गिर राष्ट्रीय उद्यान तक सीमित नहीं हैं।
वे मानव-आधारित क्षेत्रों जैसे घरों की छतों, होटलों की पार्किंग, व्यस्त हाईवे और खेतों में देखे जा रहे हैं।” यह स्थिति शेरों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रही है।
कार्निवोर कंजर्वेशन एंड रिसर्च की सलाहकार मीना वेंकटरमन ने कहा, “शेरों की संख्या में यह वृद्धि अपेक्षित थी, लेकिन यह नया प्रबंधन संकट नहीं है। पिछले दो दशकों से शेरों का प्रसार व्यापक रहा है, और चुनौतियां बरकरार हैं।”
चेल्लम ने इसे “टिक-टिक करता टाइम बम” करार देते हुए चेतावनी दी कि शेरों के लिए पर्याप्त आवास की कमी उनकी सुरक्षा और भविष्य को खतरे में डाल रही है।
वैकल्पिक आवास की जरूरत
विशेषज्ञ शेरों के लिए गुजरात से बाहर वैकल्पिक आवास की मांग कर रहे हैं। वेंकटरमन ने कहा, “एशियाटिक शेरों की छोटी आबादी को बीमारी, प्राकृतिक आपदाओं और आनुवंशिक समस्याओं से बचाने के लिए अधिक आवास जरूरी हैं।” चेल्लम ने बताया कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने गिर से कुछ शेरों को कूनो स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, लेकिन 12 साल बाद भी इस पर अमल नहीं हुआ।
शोध का अवसर
वेंकटरमन ने शेरों की बढ़ी आबादी को शोध के लिए अवसर बताया। “शोध संरक्षण की सफलता का आधार रहा है। इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और वन विभाग को इसका समर्थन करना चाहिए,” उन्होंने कहा।
शेरों की बढ़ती संख्या गुजरात के संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बिना वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैकल्पिक आवास के यह सफलता टिकाऊ नहीं होगी।