ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश सरकार ने सियांग ऊपरी बहुउद्देश्यीय परियोजना (SUMP) के प्रस्तावित स्थल पर सर्वेक्षण के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तैनाती की है। यह परियोजना, जिसकी क्षमता 12.5 गीगावाट है, भारत का सबसे बड़ा डैम बनने की योजना में है। लेकिन इस कदम ने स्थानीय निवासियों को नाराज कर दिया है, जो इस डैम का विरोध कर रहे हैं।
स्थानीय महिलाएं डटीं, “नो सर्वे, नो डैम” के नारे
सियांग नदी, जिसे ब्रह्मपुत्र का मुख्य चैनल माना जाता है, के पास कई गांवों की महिलाएं दिन-रात डटी हुई हैं और डैम के विरोध में सर्वेक्षण रोकने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने साफ कहा है कि वे अपने इलाके और नदी को संरक्षित करने के लिए कोई समझौता नहीं करेंगी।
सरकार का निर्देश और CAPF की तैयारी
सियांग जिले के उपायुक्त पीएन थुंगोन ने 6 दिसंबर को रेडो-पेरिंग सबडिविजन के सर्कल अधिकारी को पत्र लिखकर CAPF की तैनाती के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए। इस पत्र में सरकारी प्राथमिक विद्यालय की मरम्मत का भी निर्देश दिया गया। हालांकि, स्थानीय सूत्रों के अनुसार, CAPF की तैनाती अभी तक नहीं हुई है।
चार दशकों से विरोध, हाई कोर्ट का आदेश भी अनसुना
सियांग घाटी में डैम का विरोध कोई नई बात नहीं है। सियांग इंडिजिनस फार्मर्स फोरम (SIFF) के कानूनी सलाहकार भानु ततक ने कहा कि यह तैनाती गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ है, जिसमें सियांग पर प्रस्तावित सभी 44 डैम रद्द कर दिए गए थे।
2022 में, गुवाहाटी हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा सियांग नदी पर डैम बनाने के लिए किए गए समझौतों को रद्द कर दिया था। आरोप था कि अरुणाचल सरकार ने 230 से अधिक डैम के लिए अनुबंध कर अग्रिम भुगतान लिया। हालांकि, राज्य सरकार ने बाद में अदालत को सूचित किया कि सभी डैम रद्द कर दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री का तर्क और स्थानीय संगठनों का विरोध
हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोशल मीडिया पर कहा कि डैम से 13,500 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की क्षमता होगी, जिसमें 12% मुफ्त बिजली राज्य को मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो (सियांग का ऊपरी हिस्सा) पर डैमिंग के चलते क्षेत्र में बाढ़ और जल संकट जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
हालांकि, SIFF और कई छात्र संगठनों ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने डैम को लेकर स्थानीय समुदायों से कोई परामर्श नहीं किया। उनका कहना है कि यह डैम आदिवासी समुदायों की आजीविका और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
भविष्य का सवाल
सियांग घाटी में डैम विरोध बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोग अपने पारंपरिक अधिकारों और पर्यावरण को बचाने के लिए एकजुट हैं। इस बीच, सरकार और स्थानीय समुदायों के बीच संवाद की कमी से विवाद और बढ़ने की आशंका है।