Air Pollution: भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा 5 मार्च 2025 को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश के 50% शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक स्तर पर है। इस रिपोर्ट में तिरुवनंतपुरम को सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 252 दर्ज किया गया।
सबसे प्रदूषित शहर
- तिरुवनंतपुरम – AQI 252 (सबसे प्रदूषित)
- मंडी गोबिंदगढ़ – AQI 224
- समस्तीपुर – AQI 224
- सासाराम – AQI 200+
- बारबिल – AQI 200+
इन सभी शहरों में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है, जो लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
सबसे साफ हवा वाले शहर
देश में सबसे साफ हवा नाहरलगुन में पाई गई, जहां AQI 19 दर्ज किया गया। यानी तिरुवनंतपुरम की तुलना में नाहरलगुन की हवा 13 गुना बेहतर रही।
अन्य 27 शहरों में भी वायु गुणवत्ता बेहतर रही, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- कटिहार, मदिकेरी, मैहर, नागपट्टिनम, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रूपनगर, शिवमोगा आदि।
दिल्ली और अन्य बड़े शहरों की स्थिति
- दिल्ली – AQI 119 (मध्यम श्रेणी, 29 अंकों की गिरावट)
- फरीदाबाद – AQI 90 (संतोषजनक, 2 अंकों की वृद्धि)
- गाजियाबाद – AQI 232 (खराब श्रेणी)
- गुरुग्राम – AQI 226 (खराब श्रेणी)
- नोएडा – AQI 146 (मध्यम श्रेणी)
- मुंबई – AQI 90 (संतोषजनक)
- लखनऊ – AQI 122 (मध्यम श्रेणी)
- चेन्नई – AQI 54 (संतोषजनक)
- जयपुर – AQI 120 (मध्यम श्रेणी)
- पटना – AQI 145 (मध्यम श्रेणी)
वायु गुणवत्ता के आंकड़े
- बेहतर हवा वाले शहर (AQI 0-50) – 28 शहर (12% शहर)
- संतोषजनक हवा वाले शहर (AQI 51-100) – 92 शहर (38% शहर)
- मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहर (AQI 101-200) – 114 शहर
- खराब श्रेणी में आने वाले शहर (AQI 201-300) – 50% शहर
वायु गुणवत्ता के स्तर और उनके प्रभाव
- 0-50 (बेहतर) – सांस लेने के लिए सबसे अनुकूल
- 51-100 (संतोषजनक) – सामान्य जनसंख्या के लिए ठीक, संवेदनशील लोगों के लिए थोड़ा हानिकारक
- 101-200 (मध्यम) – हल्की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
- 201-300 (खराब) – सांस की बीमारियों से ग्रसित लोगों को समस्या
- 301-400 (अत्यधिक खराब) – स्वस्थ लोगों को भी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
- 401-500 (गंभीर/खतरनाक) – सभी के लिए हानिकारक, लंबे समय तक संपर्क जानलेवा हो सकता है
प्रदूषण के उतार-चढ़ाव और कारण
दिल्ली और अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर बदलता रहता है। जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं था जब दिल्ली की हवा जहरीली न हो। नवंबर 2024 में 8 दिन और दिसंबर 2024 में 6 दिन वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में थी।
प्रदूषण बढ़ने के कारण:
- वाहनों से निकलने वाला धुआं
- उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषक
- निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल
- पराली जलाना और अन्य कार्बन उत्सर्जन स्रोत
समाधान और उपाय
सरकार और नागरिकों को मिलकर वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे:
- वाहनों का कम उपयोग और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
- पेड़-पौधे लगाना और हरित क्षेत्र बढ़ाना
- स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाना
- निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों का पालन
- पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध