भारत के शहरों में वायु प्रदूषण और भीषण गर्मी के संयोजन से मृत्यु का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। स्वीडन के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरनमेंटल मेडिसिन की एक नई स्टडी में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
यह अध्ययन एनवायरनमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि दोनों कारकों का एक साथ प्रभाव इनके अलग-अलग प्रभावों की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक है।
अध्ययन का दायरा और तरीका
यह शोध 2008 से 2019 तक भारत के 10 प्रमुख शहरों में रोजाना होने वाली मौतों के आंकड़ों पर आधारित है। शोधकर्ताओं ने दो उन्नत स्पेशियो-टेम्पोरल मॉडल्स का उपयोग कर परिवेशी वायु प्रदूषण और तापमान के दैनिक स्तरों का आकलन किया। लगभग 36 लाख मौतों के विश्लेषण से पता चला कि उच्च तापमान पर PM2.5 (2.5 माइक्रोन से छोटे कण) और मृत्यु के बीच का संबंध विशेष रूप से मजबूत है।
प्रमुख निष्कर्ष
शोध में पाया गया कि भीषण गर्मी वाले दिनों में PM2.5 में प्रति 10 माइक्रोग्राम/घन मीटर की वृद्धि से दैनिक मृत्यु दर में 4.6% की बढ़ोतरी होती है, जो सामान्य गर्म दिनों पर 0.8% की वृद्धि से कहीं अधिक है। इसी तरह, जब प्रदूषण का स्तर 20 माइक्रोग्राम/घन मीटर होता है, तो तापमान के गर्म से भीषण गर्म होने पर मृत्यु का जोखिम 8.3% बढ़ जाता है।
लेकिन जब PM2.5 का स्तर 100 माइक्रोग्राम/घन मीटर तक पहुंचता है, तो यह जोखिम 64% तक बढ़ जाता है। ये नतीजे वायु प्रदूषण और गर्मी के बीच एक खतरनाक तालमेल को उजागर करते हैं।
शोधकर्ताओं ने टाइम-सीरीज विश्लेषण के लिए जेनरलाइज्ड एडिटिव पॉइसन रिग्रेशन मॉडल्स का उपयोग किया और वायु प्रदूषण व तापमान के बीच परस्पर प्रभाव को शामिल कर उनके संयुक्त प्रभाव को समझा। इससे अलग-अलग तापमान स्तरों पर प्रदूषण और प्रदूषण स्तरों पर तापमान के प्रभाव का आकलन संभव हुआ।
विशेषज्ञों की चेतावनी
इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरनमेंटल मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर जेरोएन डी बोंट ने कहा, “हमारे निष्कर्ष वायु प्रदूषण और भीषण गर्मी के बीच की परस्पर क्रिया को रेखांकित करते हैं, खासकर उन घनी आबादी वाले क्षेत्रों में जहां ये दोनों कारक अक्सर एक साथ मौजूद होते हैं। स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने के लिए वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के साझा स्रोतों से उत्सर्जन को तुरंत कम करने की जरूरत है।”
प्रमुख शोधकर्ता पेट्टर लजुंगमैन ने जोड़ा, “वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कई साझा प्रदूषक हैं। प्रदूषण स्तरों को कम करने से प्रदूषण और गर्मी दोनों से होने वाली मृत्यु दर में तत्काल कमी आएगी, साथ ही स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त लाभ भी मिलेंगे। एक महत्वपूर्ण अनुकूलन रणनीति है एकीकृत निगरानी और चेतावनी प्रणालियों का विकास, जो जलवायु खतरों और वायु प्रदूषण स्तरों दोनों को ध्यान में रखे।”
भारत के लिए चुनौती
भारत में पहले से ही वायु प्रदूषण और गर्मी के प्रभावों पर शोध सीमित रहा है, जबकि ये दोनों कारक यहाँ अक्सर चरम स्तर पर पहुंचते हैं। वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण स्थिति और गंभीर होने की आशंका है। अध्ययन में भारत के लिए एकीकृत रणनीतियों की जरूरत पर बल दिया गया है, ताकि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सके।