राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में रही, और कई हिस्सों में धुंध की एक पतली परत छाई रही। दिवाली के बाद लगातार छठे दिन दिल्ली की हवा खराब स्थिति में बनी हुई है। शहर के कुछ हिस्सों में तो एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुँच गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सुबह 8 बजे दिल्ली का AQI 358 दर्ज किया गया। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में AQI की स्थिति इस प्रकार थी: अलीपुर में 372, बवाना में 412, द्वारका सेक्टर 8 में 355, मुंडका में 419, नजफगढ़ में 354, न्यू मोती बाग में 381, रोहिणी में 401, पंजाबी बाग में 388, और आरके पुरम में 373।
AQI की श्रेणियाँ इस प्रकार निर्धारित हैं: 200-300 तक “खराब”, 301-400 तक “बहुत खराब”, 401-450 तक “गंभीर”, और 450 से ऊपर “अत्यंत गंभीर”। शहर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता बहुत खराब रही, जबकि कुछ जगहों पर इसे “गंभीर” श्रेणी में रखा गया, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है।
इसके अलावा, कालिंदी कुंज में यमुना नदी पर जहरीला झाग देखा गया, जो नदी के बढ़ते प्रदूषण स्तर को दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार से पूछा कि दिवाली पर पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध का पालन कैसे नहीं हुआ। जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली सरकार से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा। अदालत ने कहा कि समाचार पत्रों में व्यापक रूप से ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि पटाखों पर लगाया गया प्रतिबंध प्रभावी नहीं रहा।
पीठ ने दिल्ली सरकार और पुलिस आयुक्त को यह निर्देश दिया कि अगले वर्ष इस स्थिति से निपटने के लिए वे क्या कदम उठाएंगे, इस पर भी हलफनामा दाखिल करें। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) अर्चना पाठक दवे ने बताया कि इस बार दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध का बिल्कुल पालन नहीं हुआ, जिससे प्रदूषण का स्तर 10 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया।
पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया है। “बहुत खराब” और “गंभीर” श्रेणी का AQI सांस, फेफड़े और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ाता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए। प्रदूषण के कण फेफड़ों में जमा होकर सांस लेने में दिक्कत पैदा करते हैं और लंबे समय में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर का कारण बन सकते हैं।
इसके अलावा, यमुना में मौजूद जहरीला झाग न केवल नदी की जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि इसका पानी उपयोग में लाए जाने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर डाल सकता है।