Agriculture News : भारत का कृषि क्षेत्र 2025 में खाद्यान्न उत्पादन के नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है। सामान्य मानसून के चलते खरीफ फसलों का उत्पादन मजबूत रहा, लेकिन दालों और तिलहन की पैदावार में चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, 2024-25 फसल वर्ष में खरीफ फसलों का उत्पादन 164.7 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो एक नया रिकॉर्ड होगा।
खरीफ और रबी फसल में बढ़ोतरी
मौजूदा समय में रबी फसलों की बुवाई भी सुचारु रूप से जारी है। दिसंबर 2024 के मध्य तक 29.31 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं और कुल 55.88 मिलियन हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है।
कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया, “सामान्य बारिश के कारण खरीफ फसल अच्छी रही। पूरे साल का कृषि परिदृश्य सकारात्मक दिखता है, लेकिन फरवरी-मार्च में संभावित गर्म हवाओं से रबी फसल पर असर पड़ सकता है।”
कृषि क्षेत्र में वृद्धि के संकेत
2024-25 में कृषि क्षेत्र में 3.5-4% की वृद्धि का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 1.4% से अधिक है।
कृषि-अर्थशास्त्री एस. महेंद्र देव ने इस सुधार का श्रेय “अच्छे मानसून और ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी” को दिया।
जलवायु परिवर्तन और चुनौतियां
हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ इलाकों में स्थानीय बाढ़ और सूखा जैसे संकट सामने आए। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में फसल को नुकसान हुआ। प्याज और टमाटर की पैदावार पर इसका खासा प्रभाव पड़ा।
दालों और तिलहनों में आत्मनिर्भरता का प्रयास
भारत को तिलहन और दालों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स – ऑयलसीड्स (NMEO-Oilseeds) योजना 2025 में शुरू की जाएगी। 10,103 करोड़ रुपये के बजट से यह योजना आयात पर निर्भरता कम करने और तिलहन की पैदावार बढ़ाने पर केंद्रित होगी।
बागवानी और तकनीकी नवाचार में प्रगति
फलों और सब्जियों के उत्पादन में रिकॉर्ड उपलब्धियां दर्ज की गई हैं। आधुनिक कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं के चलते बागवानी क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे तकनीकी उपकरण भी तेजी से अपनाए जा रहे हैं।
यूपीएल सस्टेनेबल एग्रीसोल्यूशन्स के सीईओ आशीष डोभाल ने कहा, “ये नवाचार कृषि उत्पादकता को बढ़ाने की जबरदस्त क्षमता रखते हैं।”
सरकारी योजनाएं और किसान कल्याण
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) के तहत अब तक 3.46 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को वितरित की जा चुकी है।
सितंबर 2024 में 13,966 करोड़ रुपये की लागत से सात नई योजनाएं शुरू की गईं, जो 2025 में पूरी तरह लागू होंगी। इनमें डिजिटल कृषि, फसल विज्ञान, पशुधन स्वास्थ्य, और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन शामिल हैं।
किसान आंदोलन और MSP की मांग
पंजाब और हरियाणा में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और अन्य सुधारों की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
एक संसदीय समिति ने PM-KISAN की सहायता राशि को 12,000 रुपये प्रति लाभार्थी करने और छोटे किसानों के लिए सार्वभौमिक फसल बीमा लागू करने का सुझाव दिया है।
आगे की राह
भारत का कृषि मंत्रालय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की तुलना वैश्विक फसल बीमा योजनाओं से करेगा ताकि सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि कई सरकारी योजनाओं को नए सिरे से संशोधित करने की जरूरत है।
एस. महेंद्र देव ने कहा, “केवल कुछ केंद्रीय योजनाएं प्रभावी रही हैं, जबकि बाकी पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए।”
चुनौतियां और अवसर
- उर्वरक और कीटनाशकों की उच्च लागत
- MSP क्रियान्वयन में प्रभावशीलता
- जलवायु परिवर्तन के कारण फसल नुकसान
भारत का कृषि क्षेत्र पारंपरिक पद्धतियों और तकनीकी नवाचारों के संतुलन के साथ 2025 में टिकाऊ विकास और खाद्य सुरक्षा की दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद कर रहा है।