पंजाब विधानसभा ने हाल ही में अपने कृषि आयकर (एआईटी) कानून में संशोधन कर अधिकतम कर दर को 15% से बढ़ाकर 45% कर दिया है, जो संघीय आयकर दरों के अनुरूप है। हालांकि, अन्य प्रांत अभी इस बदलाव पर विचार कर रहे हैं। यह कदम अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम की शर्तों के तहत उठाया गया है।
कृषि पर छिपे कर (इम्प्लिसिट टैक्स) की वास्तविकता
आलोचक कहते हैं कि किसान पहले से ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के साथ-साथ छिपे हुए करों का भी भारी बोझ झेल रहे हैं। छिपे हुए कर सरकार की उन नीतियों के कारण हैं जो शहरी उपभोक्ताओं और औद्योगिक क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई जाती हैं।
छिपे कर के उदाहरण:
- फसल मूल्य नियंत्रण:
- पंजाब सरकार ने हाल ही में पंजाब प्राइस कंट्रोल ऑफ एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 2024 लागू किया, जिससे कृषि उत्पादों के दाम और वितरण पर नियंत्रण बढ़ गया।
- जुलाई 2024 में, गेंहू की कीमतें ₹2800-3050 प्रति 40 किलो तय की गईं, जो किसानों की उत्पादन लागत से भी कम हैं।
- इस कदम ने किसानों से सैकड़ों अरब रुपये निकालकर अन्य क्षेत्रों को स्थानांतरित कर दिया।
- अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मूल्य भेद:
- 2022 में, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेंहू की कीमत $480 प्रति टन थी, लेकिन किसानों को केवल ₹2200 प्रति 40 किलो का समर्थन मूल्य दिया गया।
- इससे किसानों को ₹1.3 ट्रिलियन का नुकसान हुआ।
- कपास और वस्त्र उद्योग:
- कपास, जो पाकिस्तान के सबसे बड़े निर्यात उद्योग का आधार है, किसानों से अक्सर अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कम दाम पर खरीदी जाती है।
- प्रोडक्ट मूवमेंट और एक्सपोर्ट बैन:
- किसानों को अन्य जिलों या प्रांतों में फसल बेचने से रोका जाता है, जिससे उन्हें बेहतर कीमत नहीं मिलती।
- कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार से होने वाले लाभ को रोका जाता है।
- दूध, मटन और फल-सब्जियों के दाम:
- प्रशासन किसानों के उत्पादन लागत को नज़रअंदाज़ कर इन उत्पादों के दाम तय करता है।
सरकार की सब्सिडी और उसकी सीमाएं
हालांकि, कई देशों की तरह पाकिस्तान ने भी कृषि क्षेत्र को सब्सिडी दी है, लेकिन यह बहुत सीमित और प्रभावहीन रही है।
प्रमुख सब्सिडी:
- सस्ते बिजली दर:
- लेकिन इसका लाभ केवल 20% बिजली चालित ट्यूबवेल्स को मिलता है।
- उर्वरक सब्सिडी:
- गैस की कम दर पर उर्वरक कंपनियों को दिया गया लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता।
सब्सिडी में कटौती:
- हाल के वर्षों में बिजली की दरें चार गुना बढ़ गई हैं।
- उर्वरक की कीमतों पर भी किसानों को ₹500-1000 प्रति बैग अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।
कृषि आयकर की क्षमता और चुनौतियां
कृषि आयकर का प्रभाव बहुत सीमित है।
- बड़े ज़मींदार:
- केवल 1.12% बड़े ज़मींदार (50 एकड़ से अधिक भूमि वाले) देश की 22% भूमि के मालिक हैं।
- इनमें से आधी भूमि बंजर है।
- क्षेत्रीय असंतुलन:
- बलूचिस्तान और अन्य क्षेत्रों में खेती न होने के कारण आयकर का प्रभाव बेहद कम है।
समाधान और भविष्य की दिशा
- छिपे कर हटाना:
- सरकार को किसानों पर लगाए गए छिपे करों को खत्म करना चाहिए।
- मुक्त और प्रभावी बाजार:
- सरकार को कृषि बाजारों को विकृतियों से मुक्त करना चाहिए।
- उपभोक्ता सब्सिडी:
- खाद्य सुरक्षा के नाम पर किसानों पर बोझ डालने के बजाय, उपभोक्ताओं को सीधे सब्सिडी दी जाए।
कृषि क्षेत्र पर करों और छिपे हुए करों की दोहरी मार पड़ रही है, जो न केवल किसानों के लिए हानिकारक है, बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र की प्रगति में भी बाधा डालती है। अगर सरकार न्यायसंगत कर प्रणाली चाहती है, तो उसे किसानों के लिए बेहतर नीतियां और संरचनाएं सुनिश्चित करनी होंगी।