रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में रेंज ऑफिसर देवेंद्र सिंह चौधरी की टाइगर के हमले में दुखद मौत हो गई। टाइगर उन्हें मुंह में दबाकर जंगल में ले गया। उनकी बॉडी बाद में रिकवर की गई। यह एक महीने में रणथम्भौर की दूसरी मौत है, जो वन्यजीव प्रबंधन में चूक को उजागर करती है।
पिछले साल एक इतिहासकार ने जोगी महल गेट के पास टाइगर्स को टूरिस्ट क्षेत्रों में देखा था। उनकी नजर दीवार के पीछे एक कमरे पर थी, जहां वन कर्मचारी जिंदा भैंस रखते थे। इसे बाघिन ‘एरोहेड’ के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। चेतावनी के बावजूद इसे नजरअंदाज किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि जोगी महल और रणथम्भौर किले के आसपास 15 बाघ घूमते हैं, जिनमें 9 जिंदा चारे के आदी हैं।
एरोहेड और उसके शावकों ने इंसानों का पीछा करने की आदत डाल ली है। बाघिन कंकती ने अप्रैल में एक गार्ड पर हमला किया था। बाघ विशेषज्ञ वाल्मीक थापर ने मानव-हत्यारी बाघों को दूसरी जगह बसाने की मांग की। यह घटना वन विभाग की लापरवाही का परिणाम है।