Chamarajanagar: कर्नाटक के चामराजनगर जिले के माले महादेश्वर वन्यजीव अभयारण्य में एक बाघिन और उसके चार शावकों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों को हिलाकर रख दिया है।
प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि इनकी मौत किसी मरे हुए मवेशी के शव में जहर मिले होने के कारण हुई। गुरुवार को वन विभाग की गश्ती टीम को नियमित जांच के दौरान जंगल में ये मृत बाघ मिले।
अधिकारियों और वन्यजीव कार्यकर्ताओं का मानना है कि बाघिन ने पहले किसी मवेशी को मारा होगा, जिसके बाद किसी ने उसके शव में जहर मिला दिया। इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित
राज्य के वन मंत्री ईश्वर खंडरे ने इस मामले की गहन जांच के लिए वरिष्ठ वन अधिकारियों और प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ संजय गुबी की अगुवाई में एक विशेष टीम गठित करने का आदेश दिया है।
मृत बाघों का तुरंत पोस्टमॉर्टम किया गया, और उनके खून, पेट और ऊतक (टिशू) के नमूने विषविज्ञान (टॉक्सिकोलॉजी) और डीएनए जांच के लिए भेजे गए हैं। जांच के नतीजे इस मामले में आगे की कार्रवाई को दिशा देंगे।
ग्रामीणों और मवेशियों का जंगल से जुड़ाव
जिस क्षेत्र में यह घटना हुई, वहां के अधिकतर ग्रामीण अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल में छोड़ देते हैं। इस इलाके में बाघों और तेंदुओं द्वारा मवेशियों पर हमले की कई घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं।
वन्यजीव कार्यकर्ता जोसेफ हूवर ने बीबीसी हिंदी को बताया, “ऐसी आशंका है कि अपने मवेशी के मारे जाने से नाराज किसी व्यक्ति ने उसके शव में जहर मिला दिया हो।”
हूवर ने यह भी बताया कि तमिलनाडु के किसान अक्सर अपने मवेशियों को पालने के लिए कर्नाटक के किसानों के पास छोड़ते हैं। इसके बदले में स्थानीय किसान गोबर इकट्ठा कर उसे कर्नाटक-केरल सीमा के पार केरल के किसानों को बेचते हैं। यह प्रथा इस क्षेत्र में मानव-वन्यजीव टकराव को बढ़ाने का एक कारण बन सकती है।
कर्नाटक में बाघों की स्थिति
563 बाघों की आबादी के साथ कर्नाटक, मध्य प्रदेश के बाद देश में बाघों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है। माले महादेश्वर वन्यजीव अभयारण्य बाघों के लिए महत्वपूर्ण आवास स्थल है, और इस तरह की घटनाएं वन्यजीव संरक्षण के लिए गंभीर चुनौती पेश करती हैं।
आगे की कार्रवाई
वन विभाग ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के उपायों पर विचार कर रहा है। जांच पूरी होने तक वन विभाग ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की है।
यह घटना न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक चेतावनी है, जो मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनने की आवश्यकश्ता को रेखांकित करती है।