environmentalstory

Home » पश्चिमी यूपी की जमीन इतनी उपजाऊ क्यों है?

पश्चिमी यूपी की जमीन इतनी उपजाऊ क्यों है?

by kishanchaubey
0 comment

पश्चिमी उत्तर प्रदेश (यूपी) की जमीन अपनी उच्च उपजाऊ क्षमता के लिए प्रसिद्ध है, जिसके कई प्राकृतिक और भौगोलिक कारण हैं। नीचे इसके प्रमुख कारणों को संक्षेप में समझाया गया है:

  1. गंगा-यमुना की जलोढ़ मिट्टी:
    पश्चिमी यूपी गंगा और यमुना नदियों के दोआब क्षेत्र में स्थित है। इन नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी (एल्यूवियल सॉइल) अत्यंत उपजाऊ होती है। यह मिट्टी महीन कणों, जैसे सिल्ट और क्ले, से बनी होती है, जो पोषक तत्वों को संग्रहित करने में सक्षम होती है।
  2. नदियों का व्यापक नेटवर्क:
    गंगा, यमुना, रामगंगा और घाघरा जैसी नदियाँ इस क्षेत्र में नियमित रूप से मिट्टी का नवीनीकरण करती हैं। बाढ़ के दौरान ये नदियाँ नई मिट्टी जमा करती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
  3. उपयुक्त जलवायु:
    पश्चिमी यूपी में उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु है, जिसमें गर्म ग्रीष्मकाल और मध्यम ठंड के साथ मानसून की बारिश होती है। यह जलवायु विभिन्न फसलों, जैसे गेहूँ, चावल, गन्ना और दलहन, के लिए अनुकूल है। मानसून की बारिश मिट्टी को नमी प्रदान करती है, जो फसलों की वृद्धि में सहायक होती है।
  4. सिंचाई सुविधाएँ:
    पश्चिमी यूपी में गंगा नहर प्रणाली और अन्य सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जो खेती के लिए नियमित जल आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं। यह क्षेत्र ट्यूबवेल और कुओं पर भी निर्भर है, जिससे सूखे की स्थिति में भी खेती संभव हो पाती है।
  5. मिट्टी में पोषक तत्वों की प्रचुरता:
    जलोढ़ मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम और कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ये तत्व फसलों की अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक हैं।
  6. कृषि तकनीकों का उपयोग:
    पश्चिमी यूपी के किसान आधुनिक कृषि तकनीकों, जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र हरित क्रांति का केंद्र रहा है, जिसने उत्पादकता को और बढ़ाया।
  7. भौगोलिक स्थिति:
    पश्चिमी यूपी का समतल भूभाग खेती के लिए आदर्श है। यहाँ की मिट्टी में जल धारण करने की अच्छी क्षमता होती है, जो फसलों के लिए लाभकारी है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश (यूपी) की उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु के कारण यहाँ विविध प्रकार की फसलों का उत्पादन होता है। यहाँ की मुख्य फसलें निम्नलिखित हैं:

  1. गेहूँ (Wheat):
    • पश्चिमी यूपी भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक क्षेत्रों में से एक है।
    • रबी मौसम (सर्दियों) में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है।
    • यहाँ की जलोढ़ मिट्टी और सिंचाई सुविधाएँ गेहूँ की उच्च पैदावार में सहायक हैं।
  2. चावल (Rice):
    • खरीफ मौसम (मानसून) में धान की खेती प्रमुख रूप से की जाती है।
    • गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्र में नमी की उपलब्धता के कारण बासमती और अन्य किस्मों का उत्पादन होता है।
  3. गन्ना (Sugarcane):
    • पश्चिमी यूपी को भारत का “गन्ना बेल्ट” कहा जाता है।
    • मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बागपत जैसे जिले गन्ना उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।
    • यहाँ की मिट्टी और सिंचाई सुविधाएँ गन्ने की खेती के लिए आदर्श हैं।
  4. आलू (Potato):
    • रबी मौसम में आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
    • यहाँ के ठंडे मौसम और उपजाऊ मिट्टी आलू उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं।
  5. दलहन (Pulses):
    • अरहर, चना, मसूर और मूंग जैसी दलहनी फसलों की खेती भी होती है।
    • ये फसलें मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती हैं।
  6. तिलहन (Oilseeds):
    • सरसों और मूंगफली जैसे तिलहन फसलों का उत्पादन रबी और खरीफ दोनों मौसमों में होता है।
    • सरसों की खेती खास तौर पर सर्दियों में लोकप्रिय है।
  7. सब्जियाँ (Vegetables):
    • टमाटर, गोभी, फूलगोभी, मटर, और गाजर जैसी सब्जियों की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है।
    • ये फसलें स्थानीय और बाहरी बाजारों की मांग को पूरा करती हैं।
  8. मक्का (Maize):
    • खरीफ मौसम में मक्का की खेती भी कुछ हिस्सों में की जाती है।
    • यह पशु चारे और मानव उपभोग दोनों के लिए उपयोगी है।

अन्य महत्वपूर्ण फसलें:

  • फल: आम, अमरूद और केला जैसे फलों की खेती भी कुछ क्षेत्रों में होती है।
  • मसाले: हल्दी और अदरक जैसी मसालों की खेती सीमित स्तर पर की जाती है।

You may also like