नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 1 मई, 2025 को गंगा नदी में डॉल्फिन की घटती संख्या और प्रयागराज में कचरा प्रबंधन के मुद्दों पर महत्वपूर्ण आदेश जारी किए।
डॉल्फिन संरक्षण पर एनजीटी की कार्रवाई
गंगा नदी में डॉल्फिन की घटती आबादी पर चिंता जताते हुए एनजीटी ने पटना के नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर (एनडीआरसी) और कोलकाता के सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआईएफआरआई) के निदेशकों को अगली सुनवाई में वर्चुअली उपस्थित होने का निर्देश दिया।
यह आदेश इन संस्थानों द्वारा 20 जनवरी, 2025 के नोटिस का जवाब न देने पर नाराजगी के बाद आया, जब उन्हें डॉल्फिन संरक्षण के सुझाव देने को कहा गया था। अगली सुनवाई 4 सितंबर, 2025 को होगी।
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भी एनजीटी ने निर्देश दिया था कि वह गंगा बेसिन में डॉल्फिन की संख्या अनुमानित करने की पद्धति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। संस्थान ने अतिरिक्त जवाब के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है।
उल्लेखनीय है कि हाल के सर्वेक्षण के अनुसार, देश के आठ राज्यों में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों में करीब 6,327 डॉल्फिन हैं। गंगा और सिंधु डॉल्फिन, जो स्वस्थ नदी पारिस्थितिकी तंत्र का सूचक हैं, संकटग्रस्त श्रेणी में हैं और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं।
प्रयागराज में कचरा प्रबंधन पर नगर निगम का दावा
प्रयागराज नगर निगम ने एनजीटी को सूचित किया कि शहर में जमा पुराना कचरा 15 जून, 2025 तक 100% साफ कर दिया जाएगा। इसके अलावा, रोजाना उत्पन्न होने वाले 771.53 मीट्रिक टन ठोस कचरे का 100% उपचार प्रतिदिन किया जा रहा है।
हालांकि, याचिकाकर्ता नीरज तिवारी के वकील ने इन दावों की जांच के लिए चार सप्ताह का समय मांगा और नगर आयुक्त के हलफनामे पर आपत्ति या जवाब दाखिल करने की बात कही। इस मामले में भी अगली सुनवाई 4 सितंबर, 2025 को होगी।
एनजीटी का यह कदम पर्यावरण संरक्षण और नदी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।