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माइक्रोप्लास्टिक से नदियों पर मंडराता खतरा: शोध में हुआ बड़ा खुलासा

by kishanchaubey
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Microplastics

फेस वॉश और टूथपेस्ट जैसे रोजमर्रा के उत्पादों से लेकर गाड़ियों के टायर और सिंथेटिक कपड़ों तक, माइक्रोप्लास्टिक आज हमारे जीवन के हर पहलू में शामिल हो गया है।

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इन अत्यंत छोटे प्लास्टिक कणों को लेकर हाल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि ये कण न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि नदियों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं

क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक?

माइक्रोप्लास्टिक वे प्लास्टिक कण होते हैं जिनका आकार 5 मिमी से भी छोटा होता है। ये फेस वॉश और टूथपेस्ट जैसे उत्पादों में पाए जाने वाले गोल कण हो सकते हैं या फिर पॉलिएस्टर और नायलॉन जैसे कपड़ों से धोते समय निकलने वाले रेशे।

ये कण अंततः नदियों और समुद्रों में समा जाते हैं और पानी के जीवों के लिए बड़ा खतरा पैदा करते हैं।

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कैसे बनता है खतरा?

शोध के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक के रेशे और कण नदियों की धाराओं में बेंथिक शैवाल (जो सतह पर रहते हैं) में फंस सकते हैं और वहां जमा हो सकते हैं।

जब धारा तेज होती है, जैसे तूफान के समय, तो ये कण दोबारा बहाव में आ सकते हैं और नदी के निचले इलाकों की ओर खिसक सकते हैं। इस प्रकार यह समस्या केवल एक जगह तक सीमित नहीं रहती, बल्कि आगे और भी क्षेत्रों में फैल जाती है।

शोध में क्या निकला निष्कर्ष?

यह अध्ययन ‘लिम्नोलॉजी एंड ओशनोग्राफी’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार विभिन्न प्रकार के नदी तल – जैसे कि रेतीले, कंकरीले या चट्टानी – माइक्रोप्लास्टिक के जमाव को प्रभावित करते हैं।

रेतीले तल की तुलना में चट्टानी तल में माइक्रोप्लास्टिक के जमा होने की संभावना अधिक होती है।

शोधकर्ताओं ने चार कृत्रिम धाराओं का निर्माण किया जिनमें अलग-अलग प्रकार की तल सामग्री और बेंथिक शैवाल शामिल किए गए। उन्होंने पाया कि जिन धाराओं में शैवाल की मात्रा अधिक थी, वहां माइक्रोप्लास्टिक का जमाव भी अधिक था।

क्या हो सकते हैं समाधान?

शोध में यह भी सुझाव दिया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास करने होंगे। जैसे – सिंथेटिक कपड़े धोते समय माइक्रोप्लास्टिक को रोकने वाले लॉन्ड्री बैग का इस्तेमाल करना।

शोधकर्ता मानते हैं कि छोटे-छोटे प्रयास भी अगर मिलकर किए जाएं, तो वे बड़ा बदलाव ला सकते हैं। साथ ही, वैज्ञानिक इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि तूफान जैसी घटनाओं के दौरान किस समय पर सफाई अभियान चलाना सबसे कारगर हो सकता है।

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