Kerava Dam: भोपाल के केरवा डैम के नजदीक महुआखेड़ा गांव में स्थित वेटलैंड और फुल टैंक लेवल (FTL) क्षेत्र में पिछले एक महीने से बड़े पैमाने पर अवैध मिट्टी और कोपरा भराव का काम चल रहा है। यह गतिविधि न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का भी खुला उल्लंघन है। आइए, इस मामले को आसान भाषा में समझते हैं और विस्तार से जानते हैं कि यह क्यों चिंता का विषय है।
अवैध भराव का काम: पिछले एक महीने से महुआखेड़ा के वेटलैंड और FTL क्षेत्र में 2000 से ज्यादा डंपरों से मिट्टी और कोपरा डाला जा चुका है। यह काम अभी भी रुका नहीं है।
जलभराव क्षेत्र का नुकसान: जहां पहले डैम का पानी फैलता था, वहां अब 5 फीट ऊंची मिट्टी की परत बिछा दी गई है। ऊपर से काली मिट्टी डालकर जमीन को समतल किया जा रहा है। इससे वेटलैंड का प्राकृतिक स्वरूप पूरी तरह बदल रहा है।
FTL पत्थरों की तोड़फोड़: वेटलैंड की सीमा तय करने वाले पत्थरों को तोड़ा गया और मिट्टी में दबा दिया गया है। यह स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है।
क्या है FTL और वेटलैंड?
फुल टैंक लेवल (FTL): यह वह अधिकतम सीमा है, जहां तक डैम या जलाशय का पानी भर सकता है। इस क्षेत्र में कोई निर्माण या बदलाव नहीं किया जा सकता, ताकि पानी का प्राकृतिक बहाव बना रहे।
वेटलैंड: यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पानी और जमीन का मिश्रण होता है। यह जैव विविधता, जल संग्रहण, और बाढ़ नियंत्रण के लिए बहुत जरूरी है। केरवा डैम के पास का वेटलैंड भोपाल की जल आपूर्ति और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है।
इससे क्या नुकसान हो रहा है?
प्राकृतिक जल संग्रहण पर असर:
मिट्टी भरने से वेटलैंड की पानी जमा करने की क्षमता कम हो रही है।
इससे भोपाल में पानी की कमी और बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
डैम का पानी अब पहले की तरह नहीं फैल पाएगा, जिससे आसपास की खेती और पानी की आपूर्ति प्रभावित होगी।
जैव विविधता को खतरा:
वेटलैंड में पक्षी, मछलियां, सरीसृप, और पौधों की कई प्रजातियां रहती हैं। मिट्टी भरने से इनका प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है।
कई प्रवासी पक्षी, जो इस क्षेत्र में आते हैं, अब नहीं आएंगे। इससे जैव विविधता पर लंबे समय तक बुरा असर पड़ेगा।
मछलियों और अन्य जलीय जीवों का जीवन भी खतरे में है।
अवैध निर्माण की आशंका:
जानकारी के मुताबिक, इस क्षेत्र में फार्म हाउस और आवासीय भूखंड बनाने की योजना है।
मिट्टी डालकर जमीन को ऊंचा करने का मकसद अवैध निर्माण को आसान बनाना है, जो वेटलैंड नियमों के खिलाफ है।
ऐसे निर्माण से पर्यावरण को और ज्यादा नुकसान होगा।
पानी की गुणवत्ता पर असर:
मिट्टी और कोपरे से वेटलैंड का पानी गंदा हो सकता है।
यह पानी डैम में मिलकर पीने के पानी की गुणवत्ता को भी खराब कर सकता है।
इससे स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।
कानून का उल्लंघन
यह गतिविधियां कई कानूनों और नियमों को तोड़ रही हैं:
वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017:
वेटलैंड में कोई निर्माण, मिट्टी भराव, या अतिक्रमण नहीं हो सकता।
FTL क्षेत्र में 33 मीटर तक हरियाली के लिए खाली जगह छोड़नी जरूरी है।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986:
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां गैरकानूनी हैं।
वेटलैंड को नष्ट करना इस कानून का उल्लंघन है।
जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974:
जल स्रोतों का स्वरूप बदलना या उन्हें प्रदूषित करना दंडनीय है।
मिट्टी भराव से पानी का बहाव रुक रहा है, जो इस कानून के खिलाफ है।
NGT और उच्च न्यायालय के आदेश:
NGT ने पहले ही केरवा और कलियासोत डैम के आसपास अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं।
उच्च न्यायालय ने भी वेटलैंड की सुरक्षा के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
फिर भी, ये गतिविधियां खुलेआम हो रही हैं।
कौन जिम्मेदार है?
अवैध गतिविधि करने वाले: स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली लोग और बिल्डर इस काम में शामिल हैं। वे मिट्टी डालकर जमीन को बेचने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी: जिला प्रशासन, भोपाल नगर निगम (BMC), और पर्यावरण विभाग को इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
निगरानी की कमी: वेटलैंड और FTL क्षेत्र की नियमित जांच नहीं हो रही, जिससे अवैध काम आसानी से चल रहे हैं।
Note: एक्टिविस्ट राशिद नूर खान ने कलेक्टर भोपाल को शिकायत कर कार्यवाई की मांग की।