28 मार्च 2025 को दैनिक भास्कर अखबार में एक चौंकाने वाली खबर छपी: “बड़ा तालाब का 25% हिस्सा गायब!” साथ में लिखा था कि अगले दिन यानी 29 मार्च को तालाब के आसपास अवैध निर्माण की ग्राउंड रिपोर्ट छापी जाएगी। इस खबर को पढ़कर लगा कि भास्कर अब अतिक्रमण करने वालों को बेनकाब करेगा और अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। लेकिन 29 मार्च की खबर ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। न तो किसी अतिक्रमणकारी का नाम छापा गया और न ही कुछ नया बताया गया। ऐसा लगा जैसे भास्कर रातोंरात चुप हो गया।
एनवायरमेंट स्टोरी इस मामले को गहराई से खंगाल रही है। हमने सरकारी दस्तावेजों के आधार पर उन बड़े नामों को खोजा है, जो बड़ा तालाब को नष्ट करने के जिम्मेदार हैं। आज हम आपको बताएंगे कि भास्कर की खबर में क्या कमी थी और असली गुनहगार कौन हैं।
भास्कर की खबर में क्या था?
28 मार्च को भास्कर ने बड़ा तालाब के 25% हिस्से के गायब होने की बात कही। यह खबर चौंकाने वाली थी, लेकिन अगले दिन की रिपोर्ट में कुछ खास नहीं था। 29 मार्च की खबर में न तो किसी अतिक्रमणकारी का नाम था और न ही कोई नई जानकारी। अगर आप गूगल पर “बड़ा तालाब अतिक्रमण” सर्च करें, तो पुरानी खबरें वही बातें बताती हैं जो भास्कर ने छापीं। सवाल यह है कि भास्कर ने ऐसी खबर क्यों छापी, जिसमें कुछ नया नहीं था? क्या मीडिया अब माफिया के सामने झुक गया है, या खबरें बिकने लगी हैं?
एनवायरमेंट स्टोरी की खोज: असली गुनहगार कौन?
एनवायरमेंट स्टोरी ने बड़ा तालाब के आसपास अवैध निर्माण करने वालों की लिस्ट तैयार की है। हमारे पास सरकारी दस्तावेज हैं, जो सच्चाई को सामने लाते हैं। बड़ा तालाब भोपाल का एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण जल स्रोत है, जो शहर की पानी की जरूरतें पूरी करता है। लेकिन बड़े-बड़े लोग और संस्थाएँ इसे नष्ट कर रहे हैं। आइए, कुछ बड़े नामों पर नजर डालते हैं:
1. लालघाटी-सीहोर नाका रोड
- चिरायू अस्पताल: यह अस्पताल तालाब के कैचमेंट एरिया (जल संग्रहण क्षेत्र) में बना है। नियमों के मुताबिक, तालाब के आसपास 50 मीटर (164 फीट) तक कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। लेकिन यहाँ अस्पताल खड़ा है। बारिश के मौसम में यहाँ पानी भर जाता है, क्योंकि तालाब का प्राकृतिक बहाव रुक गया है।
- मैरिज गार्डन और ढाबे: इसी रोड पर कई मैरिज गार्डन और ढाबे भी तालाब की सीमा में बने हैं। ये अवैध निर्माण तालाब को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
2. भदभदा रोड
- होटल ताज: यह होटल तालाब से सिर्फ 100 फीट की दूरी पर है, जो नियमों का उल्लंघन है।
- सयाजी होटल: यह तालाब के फुल टैंक लेवल (FTL) से केवल 80 फीट दूर है। FTL वह सीमा होती है, जहाँ तक तालाब का पानी भरा रहता है।
- जहानुमा ट्रीट एंड स्पा: यह भी FTL से 100 फीट की दूरी पर है।
3. वन विहार रोड
- होटल रंजीत लेकव्यू: यह होटल तालाब के किनारे पर बना है और अतिक्रमण की वजह से तालाब का क्षेत्र सिकुड़ गया है।
- लहर जिम: यह जिम भी तालाब की सीमा में बना है।

4. सरकार का अतिक्रमण
- मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड: वन विहार रोड पर टूरिज्म बोर्ड ने नौका विहार के लिए बोट क्लब बनाया है, जो तालाब के अंदर ही है।
- नगर निगम भोपाल: नगर निगम ने तालाब के बीच में म्यूजिकल फाउंटेन बना दिया है। प्रेमपुरा घाट पर टूरिज्म बोर्ड का सैरसपाटा तालाब से सटा हुआ है। इसके अलावा, कई पंप हाउस भी तालाब की सीमा में बनाए गए हैं।
नियम क्या कहते हैं?
शहरी क्षेत्रों में तालाब से 50 मीटर (164 फीट) तक कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। इसे “जोन ऑफ इन्फ्लुएंस” कहा जाता है। यह नियम तालाब के प्राकृतिक बहाव और पानी की गुणवत्ता को बचाने के लिए बनाया गया है। लेकिन बड़े-बड़े होटल, अस्पताल, और सरकारी प्रोजेक्ट्स ने इन नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी हैं।
भास्कर ने नाम क्यों नहीं छापे?
दैनिक भास्कर ने अपनी खबर में किसी भी अतिक्रमणकारी का नाम नहीं लिया। सवाल उठता है कि क्या भास्कर डर गया? ये नाम इतने बड़े हैं कि शायद सरकार भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने से पहले कई बार सोचे। लेकिन एनवायरमेंट स्टोरी किसी से नहीं डरती। हम सच्चाई को सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बड़ा तालाब का महत्व
बड़ा तालाब भोपाल का सबसे बड़ा जल स्रोत है, जिसे 11वीं सदी में राजा भोज ने बनवाया था। यह तालाब भोपाल की पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है और शहर की खूबसूरती का प्रतीक भी है। लेकिन अतिक्रमण की वजह से इसका 25% हिस्सा खत्म हो चुका है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो भोपाल में पानी की भारी कमी हो सकती है।
क्या करें?
- जागरूकता फैलाएँ: इस खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाएँ। सोशल मीडिया पर शेयर करें ताकि हर भोपालवासी को सच पता चले।
- सरकार पर दबाव डालें: सरकार से माँग करें कि अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएँ।
- स्थानीय संगठनों से जुड़ें: तालाब को बचाने के लिए बने संगठनों और अभियानों का हिस्सा बनें।