छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित अमाड़ गांव के आदिवासियों के लिए महुआ न सिर्फ एक वृक्ष है, बल्कि उनकी समृद्धि का स्रोत भी है। इस गांव में जिसके पास ज्यादा महुआ के पेड़ होते हैं, वह उतना ही अमीर माना जाता है।
कैसे बनते हैं गांव के लोग लखपति?
गांव में धनेश्वर जैसे कई किसान हैं, जिनके पास 60 से अधिक महुआ के पेड़ हैं। एक सीजन में वे 20-25 क्विंटल महुआ एकत्र कर लाखों रुपये कमा लेते हैं। यही कारण है कि महुआ का मौसम यहां के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है।
अमाड़ गांव में 240 परिवार रहते हैं, जिनमें औसतन 5-6 सदस्य होते हैं। कुछ परिवारों में 20 सदस्य भी होते हैं, जिससे वे अधिक महुआ एकत्र कर ज्यादा मुनाफा कमा पाते हैं।
गांव में महुआ का महत्व
गांव की वन संसाधन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गणेश राम यादव बताते हैं कि:
- 70-75% परिवारों के पास अपने महुआ के पेड़ हैं।
- गांव के अधिकार क्षेत्र में 1,517 हेक्टेयर जंगल है, जहां महुआ के पेड़ बहुतायत में हैं।
- 20-25% परिवारों के पास महुआ के पेड़ नहीं हैं, लेकिन वे जंगल से महुआ बीनकर अपनी जीविका चलाते हैं।
- जिनके पास अधिक महुआ के पेड़ हैं, वे दूसरों को भी महुआ बीनने की अनुमति दे देते हैं।
हर परिवार को मिलता है महुआ से लाभ
गांव का हर परिवार कम से कम 5 क्विंटल महुआ एकत्र करता ही है। बड़े परिवार 15-20 क्विंटल महुआ तक जमा कर लेते हैं, जिससे वे 1 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।
तेंदू पत्ता पर प्रतिबंध और महुआ की बढ़ती अहमियत
चूंकि अमाड़ गांव कोर क्षेत्र में स्थित है, इसलिए यहां तेंदू पत्ता तोड़ना और बेचना प्रतिबंधित है। ऐसे में महुआ ही सबसे अधिक लाभ देने वाला वनोपज बन जाता है। यादव बताते हैं कि महुआ की तुलना में कोई अन्य वनोपज ज्यादा फायदेमंद नहीं है।
महुआ: आदिवासियों की परंपरा और स्वास्थ्य से जुड़ा पेड़
अमाड़ के पास स्थित करलाझर गांव के करण सिंह नाग कहते हैं, “जिस घर में महुआ होता है, वहां कभी भूख नहीं लगती।” यह खाद्य पदार्थ, औषधि और पारंपरिक शराब के लिए उपयोगी है।
पहले जब भोजन की कमी होती थी, तब महुआ से बनी रोटी या अन्य खाद्य पदार्थ ही जीवन बचाते थे। लेकिन राशन व्यवस्था आने के बाद लोगों की महुआ पर निर्भरता घटी है। नाग का मानना है कि जैसे-जैसे महुआ का सेवन कम हुआ, वैसे-वैसे बीमारियां भी बढ़ गई हैं।
महुआ से कैसे होती है कमाई?
महुआ को कई रूपों में बेचा जाता है:
- सूखा महुआ – इसे व्यापारी अच्छी कीमत पर खरीदते हैं।
- महुआ का तेल – इसका उपयोग दवा और साबुन बनाने में किया जाता है।
- महुआ की शराब – पारंपरिक रूप से इसका उपयोग होता आया है।
- महुआ की मिठाइयाँ – कई जगह महुआ से लड्डू और अन्य खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं।