स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन:
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण (SBM-G) के द्वितीय चरण के तहत प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को अनिवार्य किया गया है। सरकार ने गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) के लिए फंड आवंटित किया है:
- 5000 तक की आबादी वाले गांवों के लिए प्रति व्यक्ति 60 रुपये की राशि निर्धारित की गई है।
- 5000 से अधिक आबादी वाले गांवों के लिए प्रति व्यक्ति 45 रुपये दिए जाएंगे।
- ब्लॉक स्तर पर प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों (PWMU) के लिए प्रत्येक ब्लॉक को 16 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करने और बायोडिग्रेडेबल तथा गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे के अलगाव की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, शहरी सुविधाओं का उपयोग करने की भी सलाह दी गई है ताकि प्लास्टिक कचरे का उचित निपटान हो सके।
उत्तर प्रदेश में भूजल में आर्सेनिक की समस्या
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में जानकारी दी कि केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के 29 जिलों में भूजल में निर्धारित सीमा से अधिक आर्सेनिक की मौजूदगी दर्ज की गई है।
भारत में भूजल संसाधनों की स्थिति
जल शक्ति राज्य मंत्री ने “भारत के गतिशील भूजल संसाधनों का राष्ट्रीय संकलन, 2024” रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया:
- भारत में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण: 446.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM)।
- कुल वार्षिक निकाले जाने योग्य भूजल संसाधन: 406.19 BCM।
- वर्तमान में कुल भूजल दोहन: 245.64 BCM।
- भूजल निष्कर्षण दर (Stage of Extraction – SOE): 60.47%।
- देश की 6746 मूल्यांकन इकाइयों में से:
- 73.39% “सुरक्षित”,
- 10.54% “अर्ध-महत्वपूर्ण”,
- 3.05% “महत्वपूर्ण”,
- 11.13% “अत्यधिक-शोषित”,
- 1.88% “खारे पानी” श्रेणी में रखी गई हैं।
हिमाचल प्रदेश में रेणुका जी बांध परियोजना
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी Himachal Pradesh Power Corporation Limited (HPPCL) रेणुका जी बांध परियोजना को क्रियान्वित कर रही है।
- डायवर्सन सुरंगों के लिए भूवैज्ञानिक जांच पूरी हो चुकी है।
- 947.4 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण हो गया है।
- फरवरी 2025 तक इस परियोजना पर 2,468.56 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
- परियोजना का निर्माण कार्य जून 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को बीज पूंजी सहायता
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह ने लोकसभा में बताया कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारीकरण (PMFME) योजना के तहत SHGs को बिना गारंटी के लोन देकर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- बीज पूंजी SHG नेटवर्क के कॉर्पस फंड में रहती है, जिससे अन्य SHG सदस्यों को भी समर्थन मिलता है।
- इस योजना से महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण प्राप्त होगा और लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
थर्मल पावर प्लांट्स में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन प्रणाली (FGD) की स्थापना
विद्युत मंत्रालय के राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में जानकारी दी कि थर्मल पावर प्लांट्स (TPP) में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD) प्रणाली स्थापित करने के लिए 537 इकाइयों (2,04,160 मेगावाट) की पहचान की गई है।
- 49 इकाइयों (25,590 मेगावाट) में FGD सिस्टम की स्थापना पूरी हो चुकी है।
- 211 इकाइयां (91,880 मेगावाट) कार्यान्वयन के चरण में हैं।
- 180 इकाइयां (58,997 मेगावाट) निविदा प्रक्रिया में हैं।
- 97 इकाइयां (27,693 मेगावाट) निविदा-पूर्व प्रक्रिया में हैं।
प्लास्टिक और सर्कुलर इकोनॉमी
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने सर्कुलर प्लास्टिक और टिकाऊ रसायनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए APKEMY Pvt Ltd, Navi Mumbai (2025) के साथ समझौता किया है।
- CSIR-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (CSIR-IIP), देहरादून और CSIR-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR-NPL), दिल्ली द्वारा विकसित तकनीक से प्लास्टिक कचरे को डीजल और टाइल में बदला जा रहा है।
- 2019 में CSIR ने दिल्ली नगर निगम और DDA के साथ MOU पर हस्ताक्षर किए थे ताकि प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक रूप से निपटान किया जा सके।