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भोपाल गैस त्रासदी: यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के निपटान पर हाईकोर्ट सख्त, 72 दिनों में निस्तारण का आदेश

by kishanchaubey
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भोपाल गैस त्रासदी

Bhopal gas tragedy: मध्य प्रदेश सरकार ने गुरुवार (27 मार्च) को हाईकोर्ट को जानकारी दी कि भोपाल स्थित निष्क्रिय हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के विषाक्त कचरे का निपटान 72 दिनों के भीतर किया जा सकता है। सरकार ने बताया कि यह निपटान पिथमपुर सुविधा केंद्र में कचरे को जलाकर (इनसिनरेशन) किया जाएगा।

30 मीट्रिक टन कचरे के निपटान का परीक्षण सफल
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर बताया कि फरवरी में 30 मीट्रिक टन कचरे के निपटान की अनुमति दी गई थी। इस निपटान के सफल परीक्षण के बाद, अब शेष कचरे को भी 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से जलाने का प्रस्ताव है। यह प्रक्रिया केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) की निगरानी में की जाएगी।

भोपाल गैस त्रासदी: 40 साल बाद भी बना है खतरा
भोपाल गैस त्रासदी को 40 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब भी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के आसपास के क्षेत्रों में जहरीले कचरे का खतरा बना हुआ है। 2004 में एक जनहित याचिका दायर कर सरकार पर प्रभावित क्षेत्र की सफाई न करने का आरोप लगाया गया था। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

कोर्ट का आदेश: तय समय में पूरा हो निपटान
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन शामिल हैं, ने स्पष्ट आदेश दिया कि निर्धारित 72 दिनों के भीतर कचरे का निपटान किया जाए।

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BGIA ने जताई इनसिनरेशन प्रक्रिया पर आपत्ति
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन (BGIA) नामक संस्था ने इस कचरे के इनसिनरेशन (जलाने) की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। संस्था का कहना है कि इस विधि से कचरे की मात्रा तीन गुना बढ़ जाएगी, जिससे भविष्य में भूमि और जल स्रोतों में विषाक्त पदार्थों के रिसाव (लीचिंग) की संभावना बढ़ सकती है।

BGIA की चिंता: कचरे की मात्रा बढ़ेगी, रिसाव का खतरा
BGIA की कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने कोर्ट में दलील दी कि –
300 मीट्रिक टन कचरे को जलाने से यह मात्रा 900 मीट्रिक टन हो जाएगी।
126 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद कचरे की समस्या खत्म नहीं होगी।
जलने के बाद बचा हुआ प्लास्टिक दफनाया जाएगा, जिससे भविष्य में रिसाव हो सकता है।
कचरे के निपटान के बेहतर और सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं।

कोर्ट ने राज्य सरकार से BGIA के सुझावों पर विचार करने को कहा
BGIA की आपत्तियों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह संगठन द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक निपटान तरीकों पर विचार करे।

कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा –
“बेहतर विकल्प क्या हैं, यह आप हमें दिखाइए। सरकार उन पर विचार करेगी, लेकिन वह केवल आपके कहने पर कार्य नहीं करेगी। सरकार मानकों के अनुसार और जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही कार्य करेगी।”

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