World Water Day 2025: हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है, ताकि ताजे और स्वच्छ पानी के महत्व को समझाया जा सके और इसके संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाई जा सके। यह दिन संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य 2030 तक सभी के लिए स्वच्छ जल और स्वच्छता (Sustainable Development Goal 6 – SDG 6) सुनिश्चित करना है।
पानी की अहमियत और वैश्विक जल संकट
पानी हमारे जीवन का आधार है, लेकिन दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी स्वच्छ और सुरक्षित पानी के लिए संघर्ष कर रही है। जल संसाधनों का बढ़ता दोहन, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती आबादी पानी की उपलब्धता को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में जल संरक्षण और सतत जल प्रबंधन की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लाखों लोग गंदे पानी के कारण बीमारियों का शिकार होते हैं। पानी की कमी से कृषि, ऊर्जा उत्पादन और शहरी जल आपूर्ति पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है।
विश्व जल दिवस 2025 की थीम: ग्लेशियर संरक्षण
संयुक्त राष्ट्र ने इस साल विश्व जल दिवस 2025 की थीम “ग्लेशियर संरक्षण” रखी है।
ग्लेशियर क्यों महत्वपूर्ण हैं?
- ग्लेशियर पृथ्वी के ताजे पानी के सबसे बड़े भंडार हैं।
- ये जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और नदियों, झीलों और जल स्रोतों को पुनः भरते हैं।
- कई देशों की अर्थव्यवस्था और कृषि ग्लेशियरों से मिलने वाले पानी पर निर्भर करती है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) और जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। यदि यह जारी रहा, तो आने वाले दशकों में पीने के पानी की गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है।
ग्लेशियरों के पिघलने से क्या नुकसान होगा?
- जल संकट:
- ग्लेशियर पिघलने से नदियों और जलाशयों में पानी की मात्रा घट सकती है, जिससे पीने के पानी की कमी हो सकती है।
- कृषि और खाद्य सुरक्षा पर असर:
- सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता कम होगी, जिससे फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा।
- बिजली उत्पादन में बाधा:
- कई देशों में हाइड्रोपावर प्लांट (जलविद्युत संयंत्र) ग्लेशियरों के पानी पर निर्भर हैं। अगर पानी की आपूर्ति कम हुई, तो बिजली उत्पादन प्रभावित होगा।
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर असर:
- सर्दियों में बर्फबारी में कमी आने से स्कीइंग और एडवेंचर टूरिज्म को नुकसान होगा, जिससे 2050 तक 30 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान होने की संभावना है।
- बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा:
- ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से बाढ़, भूस्खलन और समुद्री जलस्तर में वृद्धि हो सकती है।
विश्व जल दिवस का इतिहास
- 1992 में रियो डी जेनेरियो (ब्राजील) में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान विश्व जल दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया।
- पहली बार 22 मार्च 1993 को विश्व जल दिवस मनाया गया।
- 2025 में इस दिन की 32वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।
भारत और ग्लेशियर संरक्षण
भारत में हिमालय क्षेत्र में 16,627 से अधिक ग्लेशियर मौजूद हैं, जो गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सिंधु और अन्य प्रमुख नदियों के जल प्रवाह का स्रोत हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के शोध के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में भारत के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे देश के जल स्रोतों को खतरा बढ़ गया है।
सरकार ने ग्लेशियरों को बचाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें “राष्ट्रीय जल मिशन” और “ग्लेशियर मॉनिटरिंग कार्यक्रम” शामिल हैं।
ग्लेशियर संरक्षण के लिए क्या किया जा सकता है?
- कार्बन उत्सर्जन कम करें:
- जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोल, डीजल) का कम उपयोग करें।
- अक्षय ऊर्जा (सौर और पवन ऊर्जा) को बढ़ावा दें।
- पानी का संरक्षण करें:
- रोजमर्रा की जिंदगी में पानी की बर्बादी को रोकें।
- पानी पुनर्चक्रण (Water Recycling) की तकनीकों को अपनाएं।
- वनों और प्राकृतिक जल स्रोतों की रक्षा करें:
- अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।
- नदियों, झीलों और जलाशयों की सफाई करें।
- ग्लेशियरों की निगरानी और अनुसंधान:
- ग्लेशियरों के पिघलने की दर को मापने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना जरूरी है।