environmentalstory

Home » भारत में कृषि संकट और स्वास्थ्य समस्याओं पर संसद में चर्चा

भारत में कृषि संकट और स्वास्थ्य समस्याओं पर संसद में चर्चा

by kishanchaubey
0 comment

संसद के बजट सत्र के दौरान कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने राज्यसभा में जानकारी दी कि अभी तक पूरे देश के लिए किसानों के संकट को मापने वाला कोई औपचारिक कृषि संकट सूचकांक (FDI) नहीं है। हालांकि, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 2020-21 और 2021-22 के दौरान एक पायलट अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन का उद्देश्य कृषि संकट और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के प्रभाव को समझना था।

इस अध्ययन में यह देखा गया कि किसानों की परेशानियों के पीछे कई कारण हैं, जैसे:

  • जलवायु परिवर्तन और अनियमित मौसम
  • फसलों के दामों में अस्थिरता
  • किसानों की सीमित जोखिम उठाने की क्षमता

पंजाब में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

राज्यसभा में एक अन्य सवाल के जवाब में कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि सरकार इस तथ्य से अवगत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा और मरुस्थलीकरण (रेगिस्तानीकरण) बढ़ रहा है। इसका असर पंजाब समेत पूरे देश के किसानों पर पड़ रहा है।

banner

इस समस्या से निपटने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) द्वारा पंजाब के फरीदकोट, बठिंडा, गुरदासपुर और मोगा जिलों में जलवायु-अनुकूल तकनीकों का परीक्षण किया जा रहा है। गांवों के स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

महाराष्ट्र में फसल विफलता और सरकारी सहायता

महाराष्ट्र में फसल विफलता पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (NPDM) का हवाला देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन की पहली जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है

महाराष्ट्र सरकार ने:

  • राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत राहत सहायता दी।
  • 2020-21 से 2024-25 (मार्च 2025 तक) के लिए कुल 27,243.42 करोड़ रुपये प्रभावित किसानों के लिए आवंटित किए।
  • यह सहायता बेमौसम बारिश, भारी बारिश और सूखे के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए दी गई।

भारत में गैर-संचारी रोगों से बढ़ती मौतें

लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की 2017 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि:

  • 1990 में भारत में गैर-संचारी रोगों (NCDs) से होने वाली मौतों की दर 37.9% थी, जो 2016 में बढ़कर 61.8% हो गई।
  • हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के कारण यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।
  • इन बीमारियों को रोकने के लिए स्वास्थ्य जागरूकता, पोषण में सुधार और नियमित चिकित्सा जांच जरूरी है।

बच्चों में मोटापा और बढ़ती चिंता

स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार:

  • 5 वर्ष से कम उम्र के 3.4% बच्चे अधिक वजन (मोटापे) से ग्रसित हैं
  • यह समस्या शहरीकरण, खराब खानपान और कम शारीरिक गतिविधि के कारण बढ़ रही है।
  • सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देते हुए स्कूली बच्चों के पोषण और फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए अभियान चला रही है।

भारत में कैंसर के बढ़ते मामले

स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) के आंकड़ों के आधार पर बताया कि:

  • 2025 तक भारत में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 15,69,793 होगी
  • ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के अनुसार, 2040 तक यह संख्या बढ़कर 22,18,694 हो सकती है
  • कैंसर की बढ़ती दर को देखते हुए शुरुआती जांच और समय पर इलाज के लिए राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रमों को सशक्त किया जा रहा है

स्वास्थ्य पर बढ़ता व्यक्तिगत खर्च (Out-of-Pocket Expenditure – OOPE)

लोकसभा में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि:

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) 2021-22 के अनुसार, भारत में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति औसत व्यक्तिगत खर्च 2,600 रुपये प्रति वर्ष है।
  • अंतर्राष्ट्रीय तुलना में भारत 189 देशों में 69वें स्थान पर है।
  • सरकार आयुष्मान भारत योजना, मुफ्त दवा वितरण और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर रही है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं की लागत को कम किया जा सके।

You may also like