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NGT ने UP के 10 जिलों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और नालों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी

by kishanchaubey
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण सचिव को निर्देश दिया है कि वह उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और नालों की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह आदेश उस याचिका के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि इन जिलों में दूषित या आंशिक रूप से साफ किए गए सीवेज को गंगा और उसकी सहायक नदियों में बहाया जा रहा है।

याचिकाकर्ता के वकील ने 2 मार्च 2025 को अदालत में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें दिखाया गया कि क्या ये जिले प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन कर रहे हैं और इसका गंगा नदी की जल गुणवत्ता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।

वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने इन आरोपों पर जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार समस्या के समाधान के लिए समयसीमा तय करेगी और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान भी की जाएगी।

असम सरकार ने वन अतिक्रमण के दावों को किया खारिज, बेदखली अभियानों का दिया हवाला

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असम सरकार ने राज्य में जंगलों पर अतिक्रमण के दावों को गलत बताते हुए कहा कि वे वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं। कामरूप मेट्रोपोलिटन जिले में वन क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए समय-समय पर बेदखली अभियान चलाए जाते हैं।

2022-23 में, सरकार ने 10 बड़े बेदखली अभियान चलाए, जिनमें 35 अवैध कच्चे मकानों को हटाया गया और 1.52 हेक्टेयर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया।

यह जानकारी असम के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख ने एनजीटी के समक्ष दायर हलफनामे में दी है। यह हलफनामा असम ट्रिब्यून में 6 नवंबर 2024 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के जवाब में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि कामरूप मेट्रोपोलिटन में बड़े पैमाने पर वन भूमि अतिक्रमण हो रहा है।

6 मार्च 2025 को एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत सरकारी रिपोर्ट में इस दावे को ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ बताया गया और इसे खारिज कर दिया गया।

कामरूप जिले में वन अतिक्रमण की स्थिति

कामरूप मेट्रोपोलिटन जिले में 12 आरक्षित वन हैं, जो कुल 28,380.09 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं। इनमें से लगभग 4,240.4 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण हो चुका है। मुख्य रूप से दक्षिण कालापहाड़, फटासिल, हेंगराबारी, गोटानगर, गरभंगा, मारकडोला, पश्चिम अप्रीकोला और मातापहाड़ के आरक्षित वनों में अतिक्रमण देखने को मिला है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि गुवाहाटी और आसपास के क्षेत्रों में वन भूमि पर अतिक्रमण का खतरा बना रहता है। इसे रोकने के लिए वन विभाग नियमित रूप से बेदखली अभियान चलाता है। इसके अलावा, वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत सभी दावों की जांच कर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाती है।

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