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होली पर बढ़ता प्रदूषण: हवा में घुल रहा ज़हर, गाजियाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित!

by kishanchaubey
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देश में वायु प्रदूषण लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के 14 मार्च 2025 के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, भारत के कई शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इस सूची में गाजियाबाद सबसे प्रदूषित शहर बनकर उभरा है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 54 अंकों के उछाल के साथ 292 पर पहुंच गया। होली के दौरान जलाए गए हानिकारक पदार्थ और पटाखों के कारण प्रदूषण में और वृद्धि हुई है।

देश के सबसे प्रदूषित शहर (AQI के अनुसार)

  1. गाजियाबाद – 292 (सबसे प्रदूषित)
  2. हाजीपुर – 283
  3. बारबिल – 256
  4. दुर्गापुर – 249
  5. पटना – 235
  6. अंगुल – 233
  7. रायरंगपुर-नयागढ़ – क्रमशः सातवें और आठवें स्थान पर
  8. राउरकेला (ओडिशा) – 227
  9. अहमदनगर – 226

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर

राजधानी दिल्ली में भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। 13 मार्च 2025 से एक्यूआई में 19 अंकों की वृद्धि हुई और यह 198 तक पहुंच गया। वहीं, एनसीआर के अन्य शहरों में भी हालात चिंताजनक हैं:

  • गुरुग्राम – 135
  • नोएडा – 132
  • ग्रेटर नोएडा – 120
  • फरीदाबाद – 96 (संतोषजनक श्रेणी)

सबसे स्वच्छ हवा वाले शहर

जहां देश के कई शहर जहरीली हवा से जूझ रहे हैं, वहीं कुछ जगहों पर हवा अपेक्षाकृत साफ है। पालकालाइपेरुर भारत का सबसे साफ शहर रहा, जहां AQI सिर्फ 17 रिकॉर्ड किया गया। इसके अलावा, दमोह, झांसी, मंगलौर, नगांव, ऊटी, ऋषिकेश और मदिकेरी जैसे 24 शहरों की हवा ‘बेहतर’ (0-50 AQI) श्रेणी में रही।

देशभर में प्रदूषण की स्थिति (श्रेणी के अनुसार)

  • बेहतर हवा (0-50 AQI) – 24 शहर
  • संतोषजनक (51-100 AQI) – 97 शहर
  • मध्यम (101-200 AQI) – 99 शहर
  • खराब (201-300 AQI) – कई शहर, गाजियाबाद सबसे ऊपर

क्या कहता है वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)?

  • 0-50 – अच्छी हवा (स्वस्थ)
  • 51-100 – संतोषजनक (हल्की दिक्कत)
  • 101-200 – मध्यम प्रदूषण (संवेदनशील लोगों को परेशानी)
  • 201-300 – खराब (स्वास्थ्य पर असर)
  • 301-400 – बेहद खराब (गंभीर असर)
  • 401-500 – खतरनाक (सांस की बीमारियों का जोखिम)

होली पर बढ़ता प्रदूषण: क्या कारण हैं?

  1. रंगों में केमिकल – होली के रंगों में मौजूद हानिकारक केमिकल त्वचा और सांस लेने की समस्या बढ़ाते हैं।
  2. पटाखों का धुआं – कई लोग होली पर पटाखे जलाते हैं, जिससे हवा में ज़हरीले कण बढ़ जाते हैं।
  3. होली दहन से बढ़ता कार्बन उत्सर्जन – होली जलाने से धुआं और प्रदूषण फैलता है।
  4. वाहनों से बढ़ता धुआं – त्योहार के दौरान ट्रैफिक बढ़ जाता है, जिससे प्रदूषण का स्तर और ऊपर चला जाता है।

क्या किया जा सकता है?

इको-फ्रेंडली होली मनाएं – प्राकृतिक रंगों और कम धुएं वाले होली दहन का इस्तेमाल करें। ✅ पराली जलाने पर सख्ती – किसानों को वैकल्पिक उपाय देने होंगे। ✅ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा – पेट्रोल-डीजल के बजाय इलेक्ट्रिक गाड़ियों का उपयोग बढ़ाना होगा। ✅ हवाई निगरानी – प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर ड्रोन से निगरानी हो। ✅ हरियाली बढ़ाना – अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे।

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क्या सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी?

प्रदूषण को लेकर सरकार की तरफ से कई योजनाएं और कानून बनाए गए हैं, लेकिन इनका सही से पालन नहीं हो रहा। अगर जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में भारत की हवा और भी जहरीली हो सकती है।

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