सफेद और लाल आलू तो आपने बहुत खाए होंगे। लेकिन एक ऐसा आलू भी है, जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं। यह है काला आलू। यह स्वादिष्ट तो है ही, औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इस कारण मधुमेह के मरीज भी इसे खा सकते हैं। साथ ही इसमें कैंसर रोधी गुण भी होते हैं। हार्ट के लिए भी यह अच्छा माना जाता है। आम आलू की तुलना में इसकी पैदावार भी ज्यादा होती है।
काला आलू मुख्य रूप से अमेरिका के एंडीज पर्वत क्षेत्र में पाया जाता है। लेकिन अब इसे झारखंड में भी उगाया जा रहा है। राजभवन के किचन गार्डन में प्रयोग के तौर पर इसे नवंबर में लगाया गया था। अब फसल तैयार है। सहायक उद्यान प्रभारी नीलेश रासकर ने बताया कि काले आलू की बेहतरीन फसल हुई है। एक पखवाड़े में इसे उखाड़ा जाएगा। यह आलू बाहर से काला और अंदर से चमकीले बैंगनी रंग का होता है। इसमें एंथोसायनिन की मात्रा ज्यादा होती है, जो इसे गहरा बैंगनी रंग देता है। काले आलू में सामान्य आलू की तुलना में दो से तीन गुना अधिक एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं। इसलिए ये खाने में भी स्वादिष्ट लगता है।
झारखंड की जलवायु में भी सफल रहा प्रयोग
नीलेश ने बताया कि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार को प्रकृति से काफी लगाव है। वे खेती-बाड़ी में भी रुचि रखते हैं। नवंबर महीने में उन्हें किसी ने गिफ्ट में काला आलू के बीज भेजे थे। उन्होंने प्रयोग के तौर पर इसे लगाने को कहा और झारखंड की आबोहवा में इसका प्रयोग सफल रहा। अब राज्य में इस आलू की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। बाजार में इसकी अच्छी कीमत है। मेट्रो शहरों में मॉल्स में यह आलू 150-200 रुपए प्रति किलो मिल रहा है। ऑनलाइन भी यह उपलब्ध है। यहां के किसान इसकी खेती करेंगे तो पैदावार अच्छी होगी और उन्हें मुनाफा भी अधिक होगा।
लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए सुरक्षित
वरिष्ठ डायटिशियन डॉ. मनीषा घई ने बताया कि काले आलू में एंथोसायनिन और पोटैशियम की अधिकता होती है, जो प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट होता है। इसमें कार्सेजेनिक भी होता है, जो कैंसर से सुरक्षा देता है। इसमें विटामिन, आयरन, जिंक, मिनरल्स के साथ ही फ्लोरिक एसिड, कॉपर, मैंगनीज और फाइबर जैसे औषधीय तत्व भी होते हैं। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह सुरक्षित है। हाई फाइबर होने के कारण हृदय रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।